स्मार्ट प्रीपेड मीटर विवाद: बिना परीक्षण पास किए लग रहे हैं लाखों मीटर, परिषद ने जताई आपत्ति

स्मार्ट प्रीपेड मीटर विवाद: बिना परीक्षण पास किए लग रहे हैं लाखों मीटर, परिषद ने जताई आपत्ति

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं के लिए लगाए जा रहे स्मार्ट प्रीपेड मीटरों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने मांग की है कि बिना साइट एक्सेप्टेंस टेस्ट (एसएटी) पास किए किसी भी मीटर को उपभोक्ताओं के घरों में न लगाया जाए। परिषद का कहना है कि गाइडलाइन का उल्लंघन कर अब तक पांच लाख से अधिक स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगा दिए गए हैं।

परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने बताया कि नियमों के तहत 5% या 25,000 स्मार्ट प्रीपेड मीटरों की स्थापना के बाद एसएटी पास करना अनिवार्य है। लेकिन इन मीटरों ने एसएटी तो दूर, फील्ड इंस्टॉलेशन एंड इंटीग्रेशन टेस्ट (एफआइआइटी) भी पास नहीं किया है।

एफआइआइटी में फेल हो रहे मीटर

परिषद का दावा है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर बड़े पैमाने पर एफआइआइटी टेस्ट में असफल हो रहे हैं। इसके बावजूद इन्हें उपभोक्ताओं के घरों में लगाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इन मीटरों में कई तकनीकी खामियां सामने आई हैं, जो भविष्य में उपभोक्ताओं को परेशानी में डाल सकती हैं।

निदेशक ने दिया आश्वासन

इस मामले को लेकर परिषद ने निदेशक वाणिज्य निधि नारंग को भी अवगत कराया है। निदेशक ने आश्वासन दिया है कि इस मुद्दे को गंभीरता से लिया जाएगा और गाइडलाइन का पालन सुनिश्चित किया जाएगा।

परिषद की मांग

परिषद ने स्पष्ट किया है कि जब तक स्मार्ट प्रीपेड मीटर एसएटी और एफआइआइटी जैसे जरूरी परीक्षणों में पास नहीं होते, तब तक उनकी स्थापना पर रोक लगाई जाए।

विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मीटरों की गुणवत्ता और विश्वसनीयता सुनिश्चित किए बिना उनकी स्थापना से उपभोक्ताओं को अनावश्यक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।