आईएमए मेरठ के पूर्व सचिव डॉक्टर अनिल नौसरान ने स्वास्थ्य विभाग द्वारा झोलाछापों पर की जा रही कार्रवाई का किया समर्थन

वसीम अहमद
मेरठ/किठौर। नेशनल यूनाइटेड फ्रंट ऑफ डॉक्टर्स के संस्थापक डॉ अनिल नौसरान ने मेरठ मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ की जा रही कार्यवाही का स्वागत किया है। मीडिया को जारी अपने बयान में आईएमए मेरठ के पूर्व सचिव डॉक्टर नौसरान ने कहा कि वो बहुत पहले से स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऐसी कार्रवाई चाहते थे जिससे कि गांव, देहात और शहर की गलियों में बैठे हुए झोलाछाप डॉक्टरों पर अगर शिकंजा कस दिया जाए तो मेडिकल कॉलेज, सरकारी अस्पताल सहित प्राइवेट अस्पतालों पर जो भीड़ है वह अपने आप ही खत्म हो जाएगी। आईएमए के पूर्व सचिव डॉक्टर नौसरान ने बताया, आप सभी ने देखा होगा कि सितंबर महीने से लेकर नवंबर के महीने में मरीजों की बहुत भीड़ रहा करती थी, लेकिन इस वर्ष ज्यादातर प्राइवेट अस्पतालों में मरीज नहीं है। जनपद के बहुत से अस्पताल खाली पड़े हुए हैं। अगर पूरे प्रदेश में इसी तरह से झोलाछापों पर कार्यवाही होगी और उनके ऊपर शिकंजा कस दिया जाएगा तो प्राइवेट अस्पताल में नजर आने वाली भीड़ बहुत ही कम समय में खत्म हो जएगी। उन्होंने झोलाछाप डॉक्टरों पर कार्यवाही की मांग करते हुए बताया कि गांव देहात तथा शहर की गलियों में मौजूद झोलाछाप डॉक्टर गलत इलाज करते हुए मरीजों को ऐसी हालत में पहुंचा देते है जिसको बाद में बड़े शहरों के अस्पतालो में दाखिल कराना पडता था। डॉक्टर नौसरान ने बताया कि हम देख रहे हैं कि जिस तरह से झोलाछाप डॉक्टरों के ऊपर जैसे ही शिकंजा कसना शुरू हुआ तो इन झोलाछापों ने मरीज का इलाज बंद कर दिया। जिसकी वजह से शहरों के सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में भीड़ काफी हद तक कम हो गई है । उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधिकारी द्वारा की जा रही कार्रवाई की प्रशंसा करते हुए इसका समर्थन किया ।उनका कहना है कि मेरा मानना है कि कोई भी चिकित्सक जो डॉक्टरी की पढ़ाई में लम्बा समय बिताता है, वह पूरी जिम्मेदारी से मरीज का इलाज करेगा, ऐसे में उन्हें कोविड के इलाज की छूट दी जा सकती है। इसके परिणाम बेहतर ही मिलेंगे, क्योंकि लोगों के झोलाछाप चिकित्सकों के चक्कर में पड़ने से नुकसान होता है, और उसे उचित इलाज में देरी होती है, साथ ही जान का खतरा भी बना रहता है।