बहराइच हिंसा में सरकार द्वारा बुलडोजर चलाए जाने के नोटिस पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की पर टिप्पणी
सरकार को दो दिन समय दिया गया है।

बहराइच हिंसा के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने यूपी सरकार को स्पष्ट संदेश दिया है कि यह विश्वास करने का कोई कारण नहीं है कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं करेगी। कोर्ट ने बहराइच में मूर्ति विसर्जन के दौरान हुई हिंसा के संदर्भ में ध्वस्तीकरण नोटिसों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर अगली सुनवाई चार नवंबर को निर्धारित की है।
सरकार ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता को पीआईएल दाखिल करने का हक नहीं है। इस पर कोर्ट ने सरकार को दो दिन का समय दिया है ताकि वह अपनी आपत्तियाँ रजिस्ट्री में दाखिल कर सके।
न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स संस्था की ओर से दाखिल की गई पीआईएल पर यह आदेश दिया। याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकारी अमला समुदाय विशेष के लोगों के निर्माणों को अवैध बताकर ढहाने की कार्रवाई कर रहा है, जबकि वहां कोई अतिक्रमण नहीं किया गया है।
सरकार की ओर से मुख्य स्थायी अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि अधिकृत निर्माणों के लिए नोटिस जारी की गई हैं, और ये नोटिस पीआईएल के माध्यम से चुनौती नहीं दी जा सकती।
कोर्ट ने पहले भी राज्य सरकार से मामले में जानकारी मांगी थी और संबंधित अधिकारियों को नोटिस का निस्तारण करने का आदेश दिया था।
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