इंसाफ की इंतजार में पीड़ितों ने भी किया फैसला
योगी सरकार बेसमेंट को लेकर एक्शन मोड में
स्वास्थ्य विभाग की रेंगती जांच से तौलिया कांड करने वाले अस्पताल को अभयदान
इंसाफ की इंतजार में पीड़ितों ने भी किया फैसला
अब नहीं करेंगे आगे शिकायत
स्वास्थ्य विभाग अब भी कर रहा है जांच का दावा
थानाभवन- मरीज के पेट में तौलिया छोड़ने के मामले में स्वास्थ्य विभाग महीनों से जांच को लटकाए बैठा रहा उधर पीड़ित परिवार ने इंसाफ न मिलता देख फैसला कर लिया। तमाम सबूत होने के बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग ने आरोपितों के ऊपर कोई कार्रवाई नहीं की। स्वास्थ्य विभाग को जिलाधिकारी ने भी जांच के आदेश दिए थे। हालांकि स्वास्थ्य विभाग अभी भी जांच चल रही है ऐसा दावा कर रहा है। वही अस्पताल में नियमों को ताक पर रखकर नियम विरुद्ध बिल्डिंग में बेसमेंट एवं बच्चों की नर्सरी व अन्य गतिविधियां तक चलाई जा रही है।
थानाभवन के अस्पताल में मुजफ्फरनगर की महिला मरीज के ऑपरेशन के दौरान पेट में तौलिया छोड़ने का आरोप लगाया गया था। मेरठ स्थित अस्पताल की टीम ने ऑपरेशन कर तौलिया निकाला और वीडियो ग्राफी की तमाम सबूत होने के बाद भी जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने आरोपित अस्पताल संचालक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। जानकारी के अनुसार पीड़ित पक्ष ने संचालक से समझौता कर लिया उनका कहना है कि जब कोई सुनवाई नहीं हुई तो आखिर हम क्या करते। जबकि स्वास्थ्य विभाग अभी भी जांच चलने का दावा कर रहा है। मामले को एक माह से ज्यादा बीत गए लेकिन जांच तनिक भी आगे नहीं बढ़ी। मुजफ्फरनगर के गांव सिसौली निवासी 35 वर्षीय सलमा पत्नी राशिद पेट दर्द के चलते शामली में चिकित्सकों से उपचार कराने आई थी सलमा ने शामली में ही एक अल्ट्रासाउंड पर जांच कराई अल्ट्रासाउंड संचालक ने 31 जनवरी 2024 को सलमा को थानाभवन स्थित एक अस्पताल में भर्ती कराया। 2 फरवरी को सलमा का दो चिकित्सकों की देखरेख में ऑपरेशन किया गया। ऑपरेशन के नाम पर ₹30000 का फोन द्वारा अकाउंट में भुगतान भी किया गया, लेकिन पेट दर्द कम नहीं हुआ। सलमा की हालत और ज्यादा बिगड़ गई हालत बिगड़ने पर सलमा को मेरठ के अस्पताल न्यू अल जोहर नर्सिंग होम में भर्ती कराया जहां चिकित्सकों की टीम ने वीडियो ग्राफी करते हुए सलमा के पेट से एक फुट चौड़ा तौलिया निकाला। स्वजनों ने अस्पताल संचालक सहित तीन के खिलाफ तहरीर दी थी। जिलाधिकारी को भी शिकायती पत्र दिया गया था जिलाधिकारी के निर्देश पर सीएमओ दो एसीएमओ को मामले की जांच सौंप गई थी। हालांकि आज तक जांच एक कदम भी आगे नहीं बढ़ी। आरोपित अस्पताल संचालक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस संबंध में पीड़ितों ने वीडियो बयान भी जारी किए थे एवं कई अन्य सबूत भी सोशल मीडिया व अधिकारियों के सामने रखे थे। स्वास्थ्य विभाग द्वारा आज तक कोई कार्रवाई न होने से मामला चर्चा का विषय बना है।
अस्पताल अस्पताल के बेसमेंट में हो सकता है कभी भी हादसा
दिल्ली में बेसमेंट में तीन छात्रों की मौत के बाद उत्तर प्रदेश सरकार भी प्रदेश भर में बेसमेंट का सर्वे करा रही है। थाना भवन नगर पंचायत ने भी कस्बे में स्थित सभी बेसमेंट के सर्वे के लिए टीम को भेजा है। अस्पताल में भी बेसमेंट बनाया गया है वहां पर अस्पताल से संबंधित कई गतिविधियां संचालित है। सूत्रों की माने तो नियम विरुद्ध बेसमेंट बनाकर बिल्डिंग का निर्माण हुआ है। भविष्य में कोई भी बड़ा खतरा हो सकता है।
अप्रशिक्षित चिकित्सकों के द्वारा होता है इलाज
अस्पताल में तमाम असाध्य और बड़े रोगों के इलाज का दावा किया जाता है वहीं अस्पताल में बच्चों की नर्सरी भी बनाई गई है। कई बार अप्रशिक्षित चिकित्सक बच्चों का वीडियो में इलाज करते दिखते हैं। जबकि मासूम बच्चों से संबंधित कोई प्रशिक्षित चिकित्सक भी मौजूद नहीं है
आयुर्वेद की डिग्री के बावजूद भी एलोपैथिक में इलाज
सूत्रों की माने तो संचालक पर आयुर्वेद की डिग्री मौजूद है लेकिन एलोपैथिक से इलाज किया जाता है। ज्यादातर वही अस्पताल में लोगो का इलाज करते है। वहीं अन्य चिकित्सकों की डिग्री पर अस्पताल का रजिस्ट्रेशन कराया गया है। कई चिकित्सक ऐसे हैं जिनका अन्य दर्जनो अस्पताल में भी रजिस्ट्रेशन है। हैरत की बात है कि अस्पताल में बिल्डिंग से लेकर इलाज मेडिकल स्टोर बच्चों की नर्सरी बायोमेडिकल वेस्ट कचरे का प्रबंध अग्निशमन विभाग से लाइसेंस पर्यावरण विभाग से अनुमति और अस्पताल में कहीं मेडिकल कोर्स का प्रशिक्षण लेने का दावा किया जाता है। अस्पताल खामियों से भरा हुआ है भविष्य में किसी बड़ी अनहोनी से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
डॉ अनिल कुमार शामली एसीएमओ द्वारा बताया गया कि पीड़ित पक्ष द्वारा फैसला करने की जानकारी नहीं है इस मामले में दो एसीएमओ जांच कर रहे हैं। जांच पूरी होते ही अस्पताल संचालक एवं चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।