दशलक्षण पर्व के पहले दिन उत्तम क्षमा धर्म की पूजा, पं अभिषेक जैन के प्रवचनों व प्रश्न मंच में आए श्रद्धालु
संवाददाता अमित जैन
छपरौली। कस्बे में स्थित श्री 1008 भगवान पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर व श्री 1008 भगवान महावीर स्वामी दिगंबर जैन मंदिर में रविवार को जैन समाज के दशलक्षण महापर्व प्रारम्भ हो गये तथा उत्तम क्षमा धर्म की पूजा हुई।
इस दौरान सुबह जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर श्री 1008 आदिनाथ भगवान की प्रतिमा का अभिषेक शांतिधारा पूजन प्रक्षाल किया गया। उसके बाद ध्वजारोहण व विधान का उद्घाटन किया गया व दीप प्रज्ज्वलित कर विधान का शुभारंभ किया गया।विधान में इंद्र इंद्राणी बने जैन समाज की महिलाएं, पुरुषों व बच्चों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया।
यशधुवारां मध्य प्रदेश से आए पं अभिषेक जैन शास्त्री ने उत्तम क्षमा का अर्थ बताते हुए कहा कि, किसी व्यक्ति को उत्तम धर्म को अपनाना है, तो उसको अपने अंदर के द्वेष, क्रोध, लोभ, मान को त्यागना होगा। क्षमा करना कायरों का नहीं वीरों का कार्य होता है। प्रथम दिन जैन धर्म के लोगों ने एक दूसरे से वर्ष भर में उनके द्वारा हुई जाने अनजाने में अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगी।
समारोह में ध्वजारोहण अजय जैन, सीमा जैन भट्टे वालों ने किया। विधान में सौधर्म इंद्र व कुबेर बनने का सौभाग्य प्रदुमन जैन, सौरभ जैन, कुबेर इंद्र अंकुर जैन, गौरव जैन, अनूज जैन यज्ञनयक डॉ सुरेंद्र जैन को प्राप्त हुआ। पूजन के बाद श्रद्धालुओं ने उत्तम क्षमा धर्म अंगीकार करने संकल्प लिया। रात्रि में पं अभिषेक जैन शास्त्री द्वारा प्रवचन ,प्रश्न मंच और भजन संध्या का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सुरेंद्र जैन, सुनील जैन, पुरुषोत्तम दास जैन, अजय जैन, पीयूष जैन, अंकित जैन, प्रिंस जैन, मोनू जैन, गौरव जैन, राजेश जैन, जिनेंद्र जैन, संजीव जैन, राकेश जैन, आदि जैन धर्म के लोग उपस्थित रहे।