परंपरा और ज्ञान का प्रतीक है गुरुकुल शिक्षा पद्धति- ए.आर. भारद्वाज

गुरुकुल पद्धति के बारे में लोगों को जागरूक किया

परंपरा और ज्ञान का प्रतीक है गुरुकुल शिक्षा पद्धति- ए.आर. भारद्वाज

परंपरा और ज्ञान का प्रतीक है गुरुकुल शिक्षा पद्धति- ए.आर. भारद्वाज

- गुरुकुल पद्धति के बारे में लोगों को जागरूक किया

- आधुनिक शिक्षा के साथ संस्कार को भी बताया जरूरी

थानाभवन- अगर अच्छे नौजवानों का निर्माण करना चाहते हैं तो परंपरा और ज्ञान के प्रतीक गुरुकुल शिक्षा पद्धति की ओर हम सभी को चलना होगा। जिससे नौजवानों का अच्छा चरित्र, शारीरिक विकास एवं ऊर्जावान भविष्य बनाकर देश को आगे बढ़ाया जा सके। उक्त विचार एक प्राइवेट रेस्टोरेंट पर मैक्स द गुरुकुल के प्रिंसिपल ने सेमिनार में पहुंचे लोगों के सामने रखें।

दिल्ली सहारनपुर नेशनल हाईवे मार्ग पर स्थित एक प्राइवेट रेस्टोरेंट में करनाल असन्द मार्ग पर स्थित मैक्स द गुरुकुल संस्था ने एक सेमिनार का आयोजन किया। जिसमें थानाभवन क्षेत्र एवं अन्य कई जनपदों से गणमान्य लोग उपस्थित हुए। सेमिनार में मैक्स द गुरुकुल के प्रिंसिपल ए.आर. भारद्वाज ने अपनी बातों को साझा करते हुए बताया कि आज के आधुनिक दौर में अच्छे नौजवानों का निर्माण करना एक बड़ी समस्या बन गई है। क्योंकि आधुनिकता की दौड़ में आज के जीवन शैली का स्वरूप बदल गया है। जहां मोबाइल का इस्तेमाल युवाओ में बुरी लत की तरह शामिल हो गया है।जहां पहले गेम का मतलब शारीरिक विकास होता था। अब गेम का मतलब मोबाइल में गेम खेलना रह गया है। जगह-जगह देखा जा सकता है कि गांव में भी हुक्का बार खोले जा रहे हैं नौजवान नशे और अन्य बुरी लतों में पड़कर भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। हमें छात्रों को सकारात्मक और पॉजिटिव ऊर्जा की ओर लेकर जाना होगा। जिसका एकमात्र साधन आज के समय में गुरुकुल शिक्षा पद्धति है। कार्यक्रम में मैक्स गुरुकुल के चेयरमैन मुकेश बंसल ने लोगों से कहा कि देश के नौजवानों के उज्जवल भविष्य के लिए गुरुकुल स्कूल का निर्माण किया गया है।हमारा उद्देश्य है कि देश के नौजवानों की ऊर्जा देश के बेहतर निर्माण में काम आ सके। संस्कार के साथ संस्था अच्छी शिक्षा भी देती है। जिसमें छात्रों का अच्छा भविष्य तैयार किया जाता है। वही कंपटीशन एग्जाम की तैयारी कराने वाले वाइस प्राचार्य प्रशांत कुमार ने बताया कि वह स्कूल में छात्रों को बड़े-बड़े कोचिंग संस्थानों की तरह ही कंपटीशन के लिए भी तैयार करते हैं। गुरुकुल के माध्यम से बच्चों की अच्छी दिनचर्या तैयार की जाती है। जिसमें पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों का सर्वांगीण विकास होता है। कार्यक्रम में पहुंचे शामली के रिटायर अध्यापक हरबीर सिंह ने बताया कि उन्होंने अपने पोते का मैक्स गुरुकुल में दाखिला कराया था। जिसके बाद से उसके व्यवहार और पढ़ाई में काफी बदलाव आया है। हम स्कूलों और गुरुकुल की पढ़ाई में काफी अंतर है। यहां पर दिनचर्या को संयमित कर बच्चों के उज्जवल भविष्य का निर्माण होता है। कार्यक्रम में लाख गांव के विपिन मलिक ओमवीर आर्य आदि लोगों ने भी अपने विचार व्यक्त किया ओमवीर आर्य ने लोगों को बताया कि गुरुकुल पद्धति के बिना देश के नौजवानों का आज के माहौल में अच्छा चरित्र और शारीरिक निर्माण करना मुमकिन नहीं है। अगर हम अपने देश ओर दुनिया में आगे बढ़ना चाहते हैं और बच्चे में राष्ट्र की भावना को जागृत करना चाहते हैं तो हमें गांव-गांव अपनी प्राचीन सभ्यता गुरुकुल को आगे बढ़ना होगा और गुरुकुल शिक्षा पद्धति आज की आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ हमारे प्राचीन और संस्कृति को भी साथ में लेकर देश के नौजवानों का भविष्य का निर्माण करती है। सेमिनार को सफल बनाने में मैक्स गुरुकुल चेयरमैन मुकेश बंसल, प्राचार्य ए.आर. भारद्वाज, वाइस प्राचार्य प्रशांत, रघुवीर मान,पीआरओ राजेन्द्र,मुकेश शास्त्री, अध्यापक अमित,अनिरुद्ध एवं हरबीर प्रधान विपिन मलिक पुनीत सैनी, मुकेश ठाकुर आदि लोगों ने सहयोग प्रदान किया।