पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना फसल पर चोटी बेधक यानि टॉप बोरर का भारी प्रकोप

••गन्ना उत्कृष्टता केंद्र के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ विकास कुमार मलिक ने किसानों को दी सलाह
संवाददाता शशि धामा
खेकडा।पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकांश जिलों में इस समय गन्ना फसल पर चोटी बेधक कीट (टॉप बोरर) का भारी प्रकोप देखा जा रहा है। इस कीट के कारण किसानों की फसल को गंभीर नुकसान हो रहा है। गन्ना उत्कृष्टता केंद्र, कृषि विज्ञान केंद्र बागपत के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ विकास कुमार मलिक ने इस कीट की पहचान और प्रभावी नियंत्रण के उपायों की जानकारी दी है।
*चोटी बेधक की पहचान*
चोटी बेधक के प्रौढ़ कीट सफेद रंग के शलभ (मोथ) जैसे होते हैं। मादा कीट के पिछले हिस्से में नारंगी रंग की रोयेदार संरचना पाई जाती है।मादा कीट गन्ने की पत्तियों की निचली सतह पर 250-300 अंडे देती हैं, जिन्हें भूरे रंग के पदार्थ से ढक देती है। अंडों से निकलने वाली सुंडियां पत्तियों की मध्य नस में घुसकर पौधे की गोफ तक पहुंच जाती हैं। प्रभावित पौधों की पत्तियों में छर्रे लगे जैसे छेद होते हैं और गोफ में सड़न आ जाती है।वर्ष में इस कीट की 5-6 पीढ़ियां होती हैं, जिनमें जून से अगस्त के बीच तीसरी पीढ़ी सबसे अधिक नुकसान करती है।
प्रभावी प्रबंधन के उपाय
गन्ने की फसल को समय पर और उचित मात्रा में उर्वरक देने से पौधा कीट आक्रमण का मुकाबला करने में सक्षम होता है। सिंचित खेतों में यह कीट अधिक आकर्षित होता है, अतः हल्की सिंचाई करें और जलभराव से बचें। साथ ही अत्यधिक नत्रजनयुक्त उर्वरकों का प्रयोग करने से बचें, क्योंकि यह कीट को आकर्षित करते हैं। किसान इस कीट के प्रारंभिक अवस्था में पत्तियों पर पाए जाने वाले अंड समूहों को हाथ से एकत्र कर नष्ट करें। जबकि अधिक प्रभावित पौधों को काटकर खेत से बाहर कर नष्ट करें।
डॉ विकास कुमार मलिक ने बताया कि, चोटी बेधक के नियंत्रण के लिए लाइट ट्रैप और फेरोमोन ट्रैप का प्रयोग अत्यंत लाभकारी होता है। यदि फसल में 10% से अधिक क्षति हो रही हो , तो क्लोरेंट्रानिलिप्रोल की 150 मिली मात्रा को 400 लीटर पानी में मिलाकर पौधों की जड़ों में ड्रेंचिंग करें, जिससे इस कीट का प्रभावी नियंत्रण संभव है।