यज्ञीय संस्कृति से सम्मान की भावना होती है प्रबलः कपिल शास्त्री

••दूषित पर्यावरण को शुद्ध करने का एक मात्र उपाय है यज्ञ

यज्ञीय संस्कृति से सम्मान की भावना होती है प्रबलः कपिल शास्त्री

संवाददाता योगेश कुमार

दोघट । पर्यावरण शुद्धि, राष्ट्र की समृद्धि के साथ ही यज्ञीय संस्कृति से सम्मान, सौहार्द और सहयोग की भावना बलवती होती है, यह कहना है आर्य विद्वान कपिल शास्त्री का राजीव कुमार द्वारा पर्यावरण की शुद्धि के लिए आयोजित यज्ञ के आचार्य कपिल शास्त्री ने कहा कि, आज पर्यावरण बहुत दूषित हो रहा है, जिसको यज्ञ हवन के द्वारा ही शुद्ध किया जा सकता है ।

यज्ञ में मा राजेंद्र सपत्नीक यज्ञमान बने।कपिल शास्त्री के निर्देशन में आयोजित यज्ञ में बताया गया कि, आज पर्यावरण बहुत दूषित हो गया है, जिसके कारण अनेक रोगों का सामना करना पड़ रहा हैं ,मनुष्य हर समय इस भूमि को केवल ओर केवल दूषित कर रहा है ।इसका केवल एक ही बचाव, हवन में औषधीय सामग्री का चढ़ाना, जिससे दूषित पर्यावरण शुद्ध हो सकता है, वहीं यज्ञ से मनुष्यों की समस्त समस्याओं का हल हो सकेगा। इस अवसर पर कपिल शास्त्री ने बताया कि ,जो परिवार संगठित होकर चलता है वहाँ पर कोई भी परेशानी दस्तक नही देती।यज्ञ मनुष्यों को संगठित रहने का संदेश देता हैं, जिस परिवार में एक दूसरे का सम्मान किया जाता हैं, वहां पर अपार खुशियां व शांति बनी रहती हैं। 

इस अवसर पर यज्ञ में ऋषिपाल धर्मपाल कुमार ,रविंद्र कुमार ,कालू राणा, प्रधान त्रिपाल राणा, मनोज राणा, देवेंद्र राणा, डॉ विनोद राणा, सुरेश राणा तेजपाल राणा, मा सुखवीर राणा, बिजेंद्र राणा, प्रेम राणा, बाबुआनंद राणा , पीयूष , सरिता आदि उपस्थित रहे।