दृढ़ विश्वास से ही मिलती है सच्ची सफलता – डॉ. बृजेश

श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन हुआ ध्रुव चरित्र व सांख्य योग का वर्णन
चित्रकूट ब्यूरो: चरित्र, विवेक और दृढ़ विश्वास के साथ जीवन जीने वाला व्यक्ति न केवल क्षमाशील एवं कर्तव्यपरायण होता है, बल्कि वह दूसरों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन जाता है। ऐसा मनुष्य निःस्वार्थ भाव से समाज की सेवा करता है और आध्यात्मिक उत्थान की ओर अग्रसर होता है।
यह विचार डॉ. बृजेश कुमार पयासी ने कमल निवास में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन व्यक्त किए। उन्होंने भगवान कपिल के अपनी माता को दिए उपदेश और सांख्य योग का विस्तार से वर्णन किया।
ध्रुव की तपस्या और भगवान की कृपा
डॉ. बृजेश ने ध्रुव चरित्र की कथा सुनाते हुए बताया कि जब ध्रुव को अपने पिता की उपेक्षा का सामना करना पड़ा, तब उन्होंने कठोर तपस्या का संकल्प लिया। उनकी निष्ठा और दृढ़ विश्वास से प्रसन्न होकर भगवान ने उन्हें ध्रुव लोक का आशीर्वाद दिया। यह कथा दर्शाती है कि जो व्यक्ति अपने लक्ष्य के प्रति अडिग रहता है, वह निश्चित रूप से सफलता प्राप्त करता है।
भगवान के भजन में सबसे बड़ी बाधा है चंचल चित्त
उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत केवल राजाओं, देवों या असुरों की कथा नहीं है, बल्कि यह जीवात्मा और परमात्मा के संबंधों का दिव्य ग्रंथ है। सती द्वारा अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अपमानित होने पर योगाग्नि में देह त्याग, भगवान शिव के क्रोध से यज्ञ का विध्वंस, ब्रह्मा द्वारा सृष्टि निर्माण, वराह अवतार एवं हिरणाक्ष वध की कथा का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान के भजन और दर्शन में सबसे बड़ी बाधा चंचल चित्त और सांसारिक मोह है।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रभु श्रीकृष्ण सहज, करुणामय और उदार हैं, जो जीव पर अहैतुकी कृपा करते हैं। लेकिन जब मनुष्य स्वयं को ब्रह्म मान लेता है और माया के प्रभाव में अहंकार से ग्रस्त हो जाता है, तब वह काम, क्रोध एवं विकारों में फंसकर आध्यात्मिक मार्ग से भटक जाता है।
श्रोताओं की श्रद्धा और भक्ति
कथा में श्रद्धालु बड़ी संख्या में उपस्थित रहे और प्रवचनों को श्रद्धापूर्वक सुना। इस अवसर पर सोमा शुक्ला, पूर्व विधायक आनंद शुक्ला, मनीष शुक्ला, देवेंद्र त्रिपाठी, अंश पंडित, राजेश पंसारी, शंकर दयाल जायसवाल, अर्चना, विशाल जायसवाल, अमित मिश्रा, सुरेश जायसवाल सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।