बैलगाड़ी पर निकली बारात, फिजूलखर्ची छोड़ सादगी की मिसाल बना दूल्हा।

चित्रकूट। आधुनिकता के इस दौर में जहां शादियों में करोड़ों रुपये खर्च कर शान-शौकत दिखाना आम हो गया है, वहीं नगर पालिका परिषद कर्वी के वार्ड गोकुलपुरी के सभासद पुत्र लव सिंह उर्फ लवकुश यादव ने एक अनूठी पहल कर समाज को सादगी का संदेश दिया। उन्होंने अपनी बारात किसी चमचमाती लग्जरी गाड़ियों में नहीं, बल्कि पारंपरिक बैलगाड़ी से निकाली। जैसे ही उनकी बारात चित्रकूट के कंठीपुर गांव से कमासिन, बांदा के लिए रवाना हुई, यह नजारा देखने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी।
बुजुर्गों ने की सराहना, बोले— "हमारे जमाने में ऐसे ही जाती थीं बारातें"
बारात में बैलगाड़ी देखकर बुजुर्गों की यादें ताजा हो गईं। कई लोगों ने कहा, "हमारे जमाने में बारात ऐसे ही बैलगाड़ी पर जाया करती थी। लेकिन आजकल शादियों में अनावश्यक खर्च बढ़ गया है। लवकुश ने पुरानी परंपरा को जीवंत कर दिया।"
इस खास बारात में शामिल दूल्हे के पिता केशव प्रसाद यादव, देशराज यादव (पूर्व ब्लॉक प्रमुख पहाड़ी), दयाराम यादव, डॉ. रामकृष्ण, मनोज, सुमित, धीरज, राम सुंदर, उदित नारायण, प्रेम यादव, राजू यादव, दादूराम, धनंजय, संजय, आदित्य सहित अन्य बराती बैलगाड़ी की सवारी का आनंद लेते नजर आए।
"शादी सादगी से होनी चाहिए, दिखावे से नहीं" – लवकुश
जब लवकुश से इस अनोखी पहल के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, "आजकल शादी सिर्फ दिखावे का हिस्सा बन गई है। लोग लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर देते हैं, लेकिन असली खुशी सादगी में है। मैंने बचपन से बुजुर्गों से सुना था कि पहले बारात बैलगाड़ी में जाती थी, तो सोचा क्यों न इसे फिर से अपनाया जाए?"
इलाके में चर्चा का विषय बनी अनोखी बारात
यह बारात पूरे इलाके में चर्चा का विषय बनी हुई है। जहां एक ओर लोग इसे परंपरा से जोड़कर देख रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इसे फिजूलखर्ची के खिलाफ एक मजबूत संदेश माना जा रहा है।
लवकुश की इस पहल से समाज में सादगीपूर्ण विवाह की ओर एक नई सोच को बल मिल सकता है। क्या यह परंपरा फिर से लौटेगी? यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन इस अनोखी बारात ने जरूर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।