डायट चित्रकूट में कला, क्राफ्ट और संस्कृति महोत्सव का भव्य आयोजन।

नवाचार और रचनात्मकता के रंग में रंगे शिक्षक और प्रशिक्षु
चित्रकूट, 22 मार्च: डायट शिवरामपुर, चित्रकूट में 21-22 मार्च 2025 को कला, क्राफ्ट, संस्कृति एवं नवाचार महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। यह महोत्सव निदेशक, एस.सी.ई.आर.टी. उत्तर प्रदेश, लखनऊ के आदेशानुसार जनपद स्तर पर आयोजित किया गया, जिसमें बेसिक शिक्षा के शिक्षक और डायट प्रशिक्षु अपनी कलात्मक, नवाचारी और शिक्षण सहायक सामग्री (टी.एल.एम.) के साथ सम्मिलित हुए।
दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के साथ हुआ शुभारंभ
कार्यक्रम की शुरुआत डायट प्राचार्य डॉ. आदर्श कुमार त्रिपाठी द्वारा दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना से हुई। उन्होंने कहा, "कला शिक्षा केवल रचनात्मकता को विकसित करने का माध्यम नहीं, बल्कि यह छात्रों में कल्पनाशीलता और नवाचार की भावना को भी बढ़ावा देती है।" उन्होंने इस महोत्सव को शिक्षकों और प्रशिक्षुओं की प्रतिभा को एक मंच देने का प्रयास बताया और कहा कि इस तरह के आयोजन शिक्षकों के शिक्षण कौशल को निखारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
संस्कृति, नवाचार और रचनात्मकता का अनूठा संगम
कार्यक्रम में वरिष्ठ प्रवक्ता नीलम यादव ने कहा, "कला और शिल्प हमारी सांस्कृतिक विरासत को संजोने का सशक्त माध्यम हैं। यह केवल सौंदर्य का विषय नहीं, बल्कि हमारे इतिहास, परंपरा और पहचान को जीवंत बनाए रखने का एक तरीका भी है।" उन्होंने कला, संस्कृति और नवाचार को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने पर जोर दिया।
सर्वश्रेष्ठ नवाचारों का दस्तावेजीकरण और डिजिटल डायरी का निर्माण
महोत्सव में प्रशिक्षुओं और शिक्षकों द्वारा प्रस्तुत किए गए नवाचारों का अभिलेखीकरण किया गया। इन नवाचारों को पुस्तिका एवं डिजिटल डायरी के रूप में संकलित किया गया, जिससे भविष्य में इनका लाभ लिया जा सके।
संघनित गतिविधियों ने बढ़ाया उत्साह
महोत्सव के दौरान शिक्षकों और प्रशिक्षुओं ने विभिन्न कलात्मक प्रदर्शन किए, जिसमें टी.एल.एम. (शिक्षण सहायक सामग्री), हस्तनिर्मित क्राफ्ट, पारंपरिक लोक कलाएं और शैक्षिक नवाचार शामिल रहे। इन गतिविधियों ने न केवल शिक्षकों के रचनात्मक पक्ष को उजागर किया, बल्कि नई शिक्षण विधियों को भी सामने लाने का अवसर दिया।
समारोह का संयोजन और समापन
कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन प्रवक्ता डॉ. गोरेलाल द्वारा किया गया। इस अवसर पर डायट प्रवक्तागण, बेसिक शिक्षा के ए.आर.पी., शिक्षकगण, प्रशिक्षु एवं अन्य स्टाफ भी मौजूद रहा।
इस महोत्सव ने साबित कर दिया कि शिक्षा केवल पुस्तकों तक सीमित नहीं, बल्कि नवाचार, कला और संस्कृति से समृद्ध होकर संपूर्णता की ओर अग्रसर होती है।