शिक्षकों का सरकार को अल्टीमेटम: शिक्षक विरोधी नीतियों के खिलाफ बड़े आंदोलन की तैयारी

प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व शिक्षक विधायक सुरेश कुमार त्रिपाठी ने मूल्यांकन केंद्र में काली पट्टी बांधकर कार्य कर रहे शिक्षकों से की मुलाकात, 14 अप्रैल को राज्य परिषद की बैठक में होगी आंदोलन की रणनीति तैयार
चित्रकूट। उत्तर प्रदेश सरकार की शिक्षक विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रदेश भर के शिक्षक अब आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय आह्वान पर सोमवार को शिक्षक काली पट्टी बांधकर मूल्यांकन कार्य कर रहे थे। इसी दौरान प्रदेश अध्यक्ष व पूर्व शिक्षक विधायक सुरेश कुमार त्रिपाठी ने मूल्यांकन केंद्र पहुंचकर शिक्षकों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को सुना। उन्होंने कहा कि योगी सरकार बार-बार वादाखिलाफी कर रही है, शिक्षकों की समस्याओं को अनदेखा किया जा रहा है, और सरकार के उपेक्षात्मक रवैये से शिक्षक आक्रोशित हैं। उन्होंने सभी शिक्षकों को एकजुट होकर बड़े आंदोलन के लिए तैयार रहने का आह्वान किया।
शिक्षकों की प्रमुख मांगें:
शिक्षकों ने सरकार के खिलाफ नाराजगी व्यक्त करते हुए अपनी लंबित मांगों को प्रमुखता से उठाया—
1. पुरानी पेंशन बहाली
2. सेवा सुरक्षा नियमावली की पुनर्बहाली (माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की धारा 12, 18 व 21 को बहाल किया जाए)
3. शिक्षकों को निशुल्क चिकित्सा सुविधा दी जाए
4. वित्तविहीन शिक्षकों के लिए सेवा नियमावली लागू कर समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए
5. व्यावसायिक शिक्षकों को उचित वेतनमान दिया जाए
वित्तविहीन शिक्षक बोले – ‘जब शिक्षक भूखा है, तो ज्ञान का सागर सूखा है’
मूल्यांकन केंद्र पर जिलाध्यक्ष राघवेंद्र कुमार मिश्रा और जिला मंत्री सूर्यभान सिंह के नेतृत्व में शिक्षकों ने अपनी समस्याओं को खुलकर रखा। इस दौरान प्रधानाचार्या कल्पना राजपूत के नेतृत्व में वित्तविहीन शिक्षकों के एक समूह ने भी अपनी दयनीय आर्थिक स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि प्रदेश में करीब ढाई से तीन लाख वित्तविहीन शिक्षक बिना किसी सरकारी सहायता के विद्यार्थियों को शिक्षित कर रहे हैं, लेकिन उनकी स्थिति बद से बदतर होती जा रही है।
वित्तविहीन शिक्षकों ने सरकार से मांग की कि उनके लिए सेवा नियमावली बनाई जाए और सम्मानजनक मानदेय लागू किया जाए। उन्होंने कहा, “यह सरकार ‘सबका साथ, सबका विकास’ की बात करती है, लेकिन शिक्षकों की सुध तक नहीं ले रही। हमें मजबूरन आंदोलन की राह पकड़नी होगी।”
सरकार को चेतावनी: 14 अप्रैल को होगी आंदोलन की घोषणा
पूर्व शिक्षक विधायक सुरेश कुमार त्रिपाठी ने कहा कि यदि सरकार शिक्षकों की मांगों को गंभीरता से नहीं लेती, तो 14 अप्रैल 2025 को राज्य परिषद की बैठक में बड़े आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रदेश भर के शिक्षक अब चुप नहीं बैठेंगे और अपनी मांगों को पूरा करवाने के लिए सड़कों पर उतरने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
शिक्षकों का बढ़ता आक्रोश – सरकार को करना होगा समाधान
शिक्षकों ने कहा कि यह सरकार शिक्षा विरोधी नीतियां बना रही है। सहायता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षक अपनी सेवा सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, जबकि व्यावसायिक शिक्षक मामूली मानदेय पर वर्षों से काम कर रहे हैं। इसी तरह वित्तविहीन शिक्षक बिना सरकारी वेतन के पढ़ाने को मजबूर हैं।
मूल्यांकन केंद्र पर सैकड़ों शिक्षक अपनी नाराजगी जताने के लिए एकत्र हुए। इस मौके पर प्रमुख रूप से सूर्यभान सिंह, सुरेश प्रसाद, अवधेश सिंह, जयशंकर प्रसाद ओझा, सुनील शुक्ला, ऋषि कुमार शुक्ला, रघुनंदन सिंह, प्रधानाचार्य धर्मेंद्र सिंह, डॉ. रणवीर सिंह चौहान, राकेश प्रताप सिंह, विमल तिवारी, कमल कुमार सोनकर, अजय कुमार, महेंद्र प्रसाद, कल्पना राजपूत, कीर्ति मिश्रा, लक्ष्मी रंजना सिंह, संतोष सिंह पटेल आदि शिक्षक उपस्थित रहे।
अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार शिक्षकों की मांगों पर ध्यान देती है या नहीं। अगर नहीं, तो 14 अप्रैल के बाद प्रदेश में शिक्षक आंदोलन की एक नई लहर देखने को मिल सकती है।