चित्रकूट में ग्रामीण पर्यटन की नई राह, विकास सिंह को ग्रामोदय विश्वविद्यालय से पीएचडी उपाधि।

चित्रकूट। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के ग्रामीण विकास एवं प्रबंधन संकाय में शोधरत विकास सिंह को प्रतिष्ठित पीएचडी उपाधि प्रदान की गई है। उन्होंने "ग्रामीण क्षेत्र में पर्यटन विकास की भूमिका—चित्रकूट क्षेत्र के विशेष संदर्भ में" विषय पर अपना शोध कार्य सफलतापूर्वक पूरा किया। उनके शोध में चित्रकूट क्षेत्र में पर्यटन की असीम संभावनाओं को उजागर किया गया है, जो आने वाले समय में क्षेत्रीय विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
शोध में पर्यटन विकास की अपार संभावनाएं
चित्रकूट जिले के उड़की माफी गांव निवासी विकास सिंह ने अपने शोध में यह निष्कर्ष निकाला कि धार्मिक, प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहरों से समृद्ध यह क्षेत्र पर्यटन के जरिए आर्थिक समृद्धि प्राप्त कर सकता है। उन्होंने शोध के दौरान यह पाया कि यदि ग्रामीण पर्यटन को सही दिशा और संरचना दी जाए, तो स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अनेक अवसर सृजित किए जा सकते हैं।
शोध कार्य का निर्देशन वरिष्ठ विद्वान डॉ. सी. पी. गुजर और सह-निर्देशन प्रो. अमरजीत सिंह ने किया। विश्वविद्यालय द्वारा शोध कार्य के मूल्यांकन और सफल प्रस्तुति के बाद विकास सिंह को यह प्रतिष्ठित उपाधि प्रदान की गई।
ग्रामीण पर्यटन से होगा आर्थिक और सामाजिक विकास
विकास सिंह के अनुसार, चित्रकूट धार्मिक आस्था का केंद्र होने के साथ ही प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यदि यहां के पर्यटक स्थलों का समुचित विकास किया जाए और आधारभूत संरचना को मजबूत बनाया जाए, तो यह क्षेत्र राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर प्रमुख स्थान हासिल कर सकता है। उन्होंने अपने शोध में इस बात पर भी प्रकाश डाला कि ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देकर स्थानीय कारीगरों, हस्तशिल्पकारों और पारंपरिक कला से जुड़े लोगों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाया जा सकता है।
शोधार्थी को मिली बधाइयों की बौछार
विकास सिंह की इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय परिवार, शोध निर्देशक एवं सह-निर्देशक समेत कई गणमान्य व्यक्तियों ने शुभकामनाएं दीं। विकास पथ सेवा संस्थान के अध्यक्ष डॉ. प्रभाकर सिंह, वरिष्ठ समाजसेवी डॉ. रमेशचंद्र, शिक्षाविद् डॉ. रेनू सिंह सहित कई विद्वानों ने उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।
इस शोध के निष्कर्ष चित्रकूट के पर्यटन नीति-निर्माताओं के लिए दिशा-निर्देश साबित हो सकते हैं। यदि प्रशासन इस पर ध्यान देता है, तो चित्रकूट आने वाले वर्षों में ग्रामीण पर्यटन के क्षेत्र में मिसाल कायम कर सकता है।