रिक्शा चालक की मौत से डगमगाया बच्चों का भविष्य, सभासद और स्कूल प्रबंधन ने थामा हाथ।

चित्रकूट। एक रिक्शा चालक की असमय मौत ने परिवार को गहरे संकट में डाल दिया, लेकिन समाज की संवेदनशीलता और जनप्रतिनिधियों की तत्परता ने दो मासूमों की उम्मीदों को फिर से ज़िंदा कर दिया है। शास्त्री नगर निवासी फूलचंद जायसवाल की मृत्यु के बाद जहां पत्नी प्रीति जायसवाल पर जिम्मेदारियों का बोझ आ पड़ा, वहीं बच्चों वेद और समर की पढ़ाई अधर में लटक गई थी। मगर एक सभासद की पहल और स्कूल की सहानुभूति ने उनके भविष्य को एक नई राह दे दी है।
फूलचंद जायसवाल शहर में रिक्शा चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे। बताया गया कि यातायात विभाग की सख्त कार्रवाई और नियमों के कारण वे मानसिक तनाव से गुजर रहे थे। इसी तनाव ने अंततः उनकी जान ले ली। परिवार की कमान अब अकेली प्रीति के हाथ में है, जो सीमित संसाधनों में बच्चों का भविष्य संवारने की जद्दोजहद कर रही हैं।
अपने बच्चों की शिक्षा जारी रखने के लिए प्रीति ने साहस जुटाया और स्थानीय मॉडर्न पब्लिक स्कूल, शंकर बाजार कर्वी के प्रबंधक शिवलाल सिंह राजपूत से मिलकर अपनी पीड़ा साझा की। विद्यालय प्रबंधन ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए वेद और समर की सम्पूर्ण फीस माफ करने का निर्णय लिया। प्रबंधक ने आश्वासन दिया कि दोनों बच्चों की शिक्षा कक्षा 12 तक बिना किसी शुल्क के जारी रहेगी।
इस पूरे प्रयास में शास्त्री नगर के सभासद शंकर यादव ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने विद्यालय प्रशासन से संपर्क साधा और बच्चों के भविष्य के लिए हरसंभव सहयोग किया। सभासद ने विद्यालय के प्रबंधक और प्रधानाचार्य अवध बिहारी का आभार जताते हुए कहा, "ऐसे कार्य समाज में उम्मीदों की लौ जलाते हैं। जब हम मिलकर किसी जरूरतमंद का साथ देते हैं, तो उसकी दुनिया बदल सकती है।"
यह घटना न केवल मानवीयता की मिसाल है, बल्कि इस बात का प्रमाण भी है कि यदि समाज के हर वर्ग का थोड़ा-सा सहयोग मिल जाए, तो कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित नहीं रह सकता। फूलचंद के बच्चे अब फिर से सपने देख रहे हैं — और उन सपनों तक पहुंचने की राह अब पहले से कहीं ज़्यादा साफ हो चुकी है।