स्वास्थ्य विभाग मेहरबान : हाथरस में मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ और परिजनों से होती रुपयों की मार, सच्चाई की है ये दास्तान

स्वास्थ्य विभाग मेहरबान : हाथरस में मरीजों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ और परिजनों से होती रुपयों की मार, सच्चाई की है ये दास्तान

-आज मशीन खरीदो और कल से लैब हो जाएगी शुरू, जी- हां -बिना रजिस्ट्रेशन के जिले में 400 से ज्यादा चल रहे पैथोलॉजी लैब, जबकि पंजीकृत है 45 

-ग्रामीण क्षेत्र के सरकारी अस्पतालों में रोजाना हो रहे 500 टेस्ट

-लैब में कार्य करने वाले मेडिकल टेक्नोलॉजी में डिप्लोमा या डिग्री धारक होने चाहिए।

-लैब में करने वाले कर्मी के पास माइक्रोबायोलॉजी की डिग्नी होनी चाहिए।

-जांच रिपोर्ट पर एमबीबीएस डिग्री धारक चिकित्सक की मंजूरी होनी चाहिए।


(विशेष स्टोरी ,अनिल चौधरी)

हाथरस। जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में रोजाना लगभग 500. जांच हो रही हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सिकंदराराऊ में रोजाना 100 से 120. सादाबाद में 80 से 100, मुरसान में 60 से 80, हस्तयन में 60 से 80 और सासनी में 120 से 150 तक जांच होती हैं। अधिकांश बिना पंजीकरण के ही चल रही है। लैब पर चिकित्सक भी नहीं बैठते. मुंबई, दिल्ली, मथुरा और अलीगढ़ में बैठने वालों चिकित्सकों के नामों और दस्तावेजों पर लैब चल रही है। कुछ दिन में एक बार आकर रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर देते हैं तो कुछ ऑनलाइन डिजिटल हस्ताक्षर कर रिपोर्ट जारी कर देते हैं। जिले के नर्सिंग होम, हास्पीटल, क्लिनिक, पैथोलॉजी लैब को एक कानून के दायरे में लाने के लिए सरकार ने नर्सिंग होम एक्ट बनाया है लेकिन स्थिति यह है कि स्वास्थ्य विभाग, जिसके पास एक्ट का पालन करवाने का जिम्मा है, वहीं लापरवाही बरत रहा है। एक अनुमान के मुताबिक सिर्फ जिले में 400 पैथोलॉजी लैब है।

इसमें से मात्र 45 को ही लाइसेंस जारी हो सका है। बाकी नर्सिंग होम एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराना मुनासिब नहीं समझ रहे है। सवाल यह भी है कि आखिर एक्ट का उल्लंघन होने पर भी पैथोलॉजी जांच केन्द्र पर कार्रवाई क्यों नहीं की जा सकी है ? क्या अधिकारियों की मिलीभगत है या फिर दूसरे कारण ? यह स्थिति सिर्फ शहर ही नहीं पूरे जिले की है। जो बगैर रजिस्ट्रेशन कराए की धड़ल्ले से पैथोलॉजी जांच केन्द्र चला रहे है। क्योंकि किसी को कार्रवाई का भय नहीं है। जिले में पैथोलॉजी सेंटर की भरमार है। मुख्य सड़क से लेकर तंग गलियों तक में पैथोलॉजी सेंटर संचालित है। इन पैथोलॉजी सेंटर्स पर टेक्निशियन और डॉक्टरों के नाम के बड़े-बड़े बोर्ड भी लगी हैं, लेकिन बेहतर जांच करने का दावा करने वाले इन पैथोलॉजी सेंटर्स की जांच रिपोर्ट के आधार पर मरीजों का इलाज आगे बढ़ाना खतरनाक साबित हो सकता है। हकीकत में जहां-तहां चल रहे इन पैथोलॉजी सेंटर्स की जांच रिपोर्ट गलत साबित होती है। खुद कई डॉक्टर्स मरीजों द्वारा कराई जाने वाली पैथोलॉजी सबंधी जांच रिपोर्ट से असमंजस में पड़ जाते हैं। हैरानी की बात ये है कि धड़ल्ले से आंखों में धूलझोंक रहे इन पैथोलॉजी सेंटर्स का सच सबको पता है, बावजूद इसके स्वास्थ्य महकमा आंखें बंद कर चुप्पी साधे हुए हैं।

उपकरण भी हैरान कर देंगे :

पैथोलॉजी सेंटर का सच स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का सच छुपा नहीं है। ज्यादातर पैथोलॉजी सेंटर पर बिना टेक्निशियन के जांच की जाती है। जांच करने वाले चिकित्सीय उपकरण की स्थिति भी हैरान कर देने वाली है। पैथोलॉजी सेंटर की आड़ में जांच के नाम पर मरीजों से पैसा वसूलने का खेल स्वास्थ्य महकमे की चुप्पी के कारण फलफूल रहा है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की माने तो जल्द ही अवैध रूप से चल रहे पैथोलॉजी सेंटर पर बड़ी कार्रवाई की जाएगी।
जिले वासियों को गुणवत्तापूर्ण इलाज-जांच सुविधा की उपलब्धता सुनिश्चित कराने करने वाले क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट लागू किया गया था। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव ने पूर्व में ही बिना पंजीयन संचालित केन्द्रों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया था। बावजूद इसके जिले में धड़ल्ले से बिना पंजीयन के नर्सिंग होम व जांच केन्द्र चल रहे है। यह हाल तब है जबकि बिना किसी पड़ताल की
सिर्फ तीन आसान व बुनियादी शर्तों पर पंजीयन किया जाना है। केन्द्र सरकार की तर्ज पर राज्य सरकार ने भी क्लीनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट (रजिस्ट्रीकरण एवं विनियमन) अधिनियम की नियमावली लागू की थी। इसके तहत सभी नैदानिक संस्थाओं को पंजीयन कराना अनिवार्य बनाया था। पंजीयन को दिया समय समाप्त होने पर जांच कर बिना पंजीयन वाले केन्द्रों पर भारी जुर्माना करने का प्रावधान था।क्लिनिकल इस्टैब्लिशमेंट एक्ट लागू करने के पीछे स्वास्थ्य विभाग की मंशा प्रदेश में कुकुरमुत्ते की तरह फैले झोलाछाप चिकित्सकों के हास्पीटल व जांच केन्द्र पर पूरी तरह से लगाम कसना है। जिले में चिकित्सा सुविधा का आकलन कर सटीक योजना बनाना है। लोभी चिकित्सक बड़े-बड़े दावे कर मरीजों का शोषण न कर सके, रोकने की भी कवायद इसमें शामिल है।

बिना निबंधित जांच केन्द्रों पर सजा का प्रावधान :

-पहली बार बिना पंजीयन पकड़े जाने पर 50 हजार का जुर्माना।

-दूसरी बार बिना पंजीयन धरे जाने पर 2 लाख जुर्माना

-इसके बाद भी पंजीयन न कराने पर पांच लाख तक का जुर्माना हो सकता है।

-प्रधान सचिव के निर्देशानुसार सभी नैदानिक केन्द्रों में सरकारी अस्पताल
भी हैं। वह जल्द से जल्द अपने केन्द्र का पंजीयन करा लें नहीं तो उनपर भी
कार्रवाई होगी। क्या कहते हैं सिविल सर्जन बिना रजिस्ट्रेशन के पैथोलॉजी जांच केन्द्र चलाने वालों को चिन्हित कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए जल्द ही टीम से अवैध रुप से संचालित जांच केन्द्रों में छापेमारी कराई जाएगी। सरकार की ओर नर्सिंग होम एक्ट के तहत सभी जांच केन्द्रों का रजिस्ट्रेशन कराए जाने का प्रावधान है। इसमें कुछ जांच केन्द्रों ने रजिस्ट्रेशन करा लिया है। जबकि कई जांच केन्द्र बिना रजिस्ट्रेशन के ही चलाए जा रहे है।