धर्म सभा,देव और गुरु को सुनने वाले श्रावक का जीवन होता है सार्थक: सौरभ सागर

धर्म सभा,देव और गुरु को सुनने वाले श्रावक का जीवन होता है सार्थक: सौरभ सागर

संवाददाता मनोज कलीना

बिनौली।जैन संत आचार्य 108 सौरभ सागर महाराज ने कहा कि, जो श्रावक देव और गुरु की वाणी को सुनकर आगे बढ़ता है, उसका जीवन सार्थक होता है। वे शुक्रवार को बिनोली के श्री दिगंबर जैन पुराना मंदिर में आयोजित धर्मसभा में श्रद्धालुओं को प्रवचन कर रहे थे। 

उन्होंने कहा कि, जो देव और गुरु को सुनता है, उसे श्रावक कहते हैं। जैन कुल में जन्म लेने के बाद सुनने की कला भी आनी चाहिए। इसलिए जैन दर्शन में शास्त्र का नाम श्रुत दिया है, श्रुत अर्थात सुना हुआ, क्योंकि जब तक हम किसी की बात को नहीं सुनते, तब तक हमारे भीतर समझ भी पैदा नहीं होती। 

उन्होंने कहा, श्रावक बनना तो जीवन का दूसरा भाग है, लेकिन जैनी बनना बहुत कठिन है। कहा कि, अपने पांव से चलकर या किसी माध्यम से आप मंदिर तक नहीं आए ,तो आप जैन तो बन गए लेकिन जैनी नहीं बन पाए। इसलिए प्रतिदिन हमें मंदिर आने की आदत डालनी चाहिए और ऐसे ही संस्कार अपने बच्चों को भी देने चाहिए, तभी हमारा जीवन सार्थक बनेगा। धर्म सभा में जिवेन्द्र जैन, अनुराग जैन, सचिन जैन, संयम जैन, रविंद्र जैन, पीयूष जैन, नीटू जैन, सत्येंद्र जैन, प्रवीण जैन, उत्सव जैन, नीरज जैन, ऋषभ जैन आदि मौजूद रहे।