तीन दिवसीय भक्ति रस की गंगा प्रवाहित होने के उपरांत रामचरितमानस सम्मेलन हुआ संपन्न।

तीन दिवसीय भक्ति रस की गंगा प्रवाहित होने के उपरांत रामचरितमानस सम्मेलन हुआ संपन्न।

रमेश बाजपेई 
महराजगंज रायबरेली। विकास  क्षेत्र अंतर्गत  ग्राम सभा राघवपुर में तीन दिवसीय श्री रामचरितमानस सम्मेलन प्रकांड विद्वानों तथा कथा वाचकों के द्वारा त्रेता कालीन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की कथा रूपी भागीरथी प्रवाहित करने के साथ संपन्न हुआ l राघवेंद्र  सरकार की लीलाओ तथा उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए आदर्श आचरण की व्याख्या सुनने के लिए तीनों दिवस श्रद्धालुओं की अपार भीड़ रहीl जौनपुर से आए कथावाचक श्री रामेश्वरानंद जी महाराज ने राम के चरणों की रज की व्याख्या करते हुए कहा की रामायण के अद्वितीय पात्र श्री भरत जी केवल प्रभु की चरण रज को ही देखा करते थे और मन ही मन यह सोचते थे कि यह धूल के कण कितने भाग्यशाली हैं जो प्रभु श्री राम के चरणों में स्थान पा सके हैं भक्ति का मार्ग तभी सफल हो सकता है जब साधक अपने प्रभु के चरणों की धूल बनने का प्रयास करें l यदि भक्त अपना सर्वस्व राघवेंद्र सरकार के चरणों में अर्पित कर देता है तो उसे प्रभु श्री राम अपने हृदय में स्थान देते हैं श्री भरत का स्थान श्री राम के हृदय में था l इटावा, छतरपुर तथा चित्रकूट आदि स्थानों से पधारे हुए विद्वत जनों द्वारा भाई का भाई के प्रति प्रेम मां जानकी का उदाहरण देते हुए एक आदर्श नारी के आचरण का बृहद वर्णन किया गयाl राम विवाह में जनकपुर की नारियों का ह्रास परिहास माता जानकी सहित उर्मिला मांडवी श्रुति कीर्ति को माता के द्वारा दिया जाने वाला उपदेश पिता के वचनों की लाज रखने के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम द्वारा वनवास स्वीकार करने समाज के अंदर अधर्म की भावना फैलाने वाले रावण का सपरिवार विनष्ट होने आदि का वृहद वर्णन किया गया lकार्यक्रम के आयोजन में आयोजन समिति के अध्यक्ष गणेश द्विवेदी अनिल मिश्रा कृष्ण चंद तिवारी कालिका प्रसाद शुक्ला संतोष शुक्ला अतुल द्विवेदी सदाशिव तिवारी तथा सुंदरकांड समिति के समस्त सदस्यों का योगदान सराहनीय रहाl