पीड़ित और अक्षम मानव की सेवा का पावन तीर्थ है अपना घर आश्रम :राजेंद्र अग्रवाल

पीड़ित और अक्षम मानव की सेवा का पावन तीर्थ है अपना घर आश्रम :राजेंद्र अग्रवाल

••विद्या ग्रुप के प्रदीप जैन व प्रदीप जैन को मिली मुख्य संरक्षक तथा संरक्षक की जिम्मेदारी

ब्यूरो डा योगेश कौशिक

अमींनगर सराय | समाज के अक्षम, असहाय और पूर्णतः उपेक्षित मानव मात्र को आवास, भरण पोषण, चिकित्सा से लेकर निश्चिंतता पूर्वक जीवन यापन के लिए किए गए सेवा भाव को उपकार न मानकर अपना दायित्व मानने वालों के लिए बना है अपना घर आश्रम,और इस आश्रम के सदस्य या पदाधिकारी कहीं चंदा या दान लेने नहींं जाते, बल्कि प्रभु के दरबार में अपना घर आश्रम की जरूरत के हिसाब से चिट्ठी लिखकर रख देते हैं | ऐसे में अनायास ही वह व्यक्ति चला आता है, चिट्ठी पढता है और अपनी सामर्थ्य के अनुसार वस्तु के भिजवाने के लिए टिक का निसान लगा देता है, अथवा बता देता है |

अपनी इसी अनोखी कार्यशैली के लिए अपना घर आश्रम दानदाताओं और सेवाभावी संगठनों को जोडता रहता है जिसके मुख्य संरक्षक प्रदीप जैन व विद्या ग्रुप के डॉ प्रवीण जैन संरक्षक तथा ईश्वर अग्रवाल को अध्यक्ष की जिम्मेदारी सर्वसम्मति से दी गई है |
वहीं पंकज गुप्ता सचिव, सुधीर मित्तल जैन वित्त सचिव ,अभिमन्यु गुप्ता मुख्य सलाहकार तथा दिनेश जैन व इंदरपाल वर्मा सलाहकार के रूप में सर्वसम्मति से जिम्मेदार बनाए गए है |

इस अवसर पर बताया गया कि,जीवन के अंतिम पड़ाव में रेलवे स्टेशन, फुटपाथ ,सड़क के किनारे,सार्वजनिक एवं धार्मिक स्थलों पर पड़े वेदनादायक कष्टों को झेलते हुए जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे होते हैं ,वह प्रभु स्वरूप सेवा व संसाधनों के अभाव में असीम गंदगी के साथ नारकीय जीवन जीने को भी मजबूर होते हैं। इन दीनजनों के पास पीड़ा के समय में दर्द के लिए दवा,भूख के लिए भोजन व तन के लिए कपड़ा तो दूर की बात है,जीवन के अंतिम क्षणों में इन्हें पानी तक नसीब नहीं होता ।

घाव एवं बीमारी इलाज के अभाव में बढ़कर गंभीर रूप ले लेती है अक्सर इनके घावों में कीड़े हो जाते हैं और कई बार मृत्यु इतनी कष्टदायी हो जाती है कि, आम आदमी उसकी परिकल्पना भी नहीं कर सकता अपना घर आश्रम ऐसे दीनजनों को अपनापन,चिकित्सा, भोजन,आवास,वस्त्र,सेवा व जीवन यापन की सभी मूलभूत जरूरतें परिवेश निशुल्क उपलब्ध कराता है |