पंचकल्याणक महोत्सव:तप कल्याणक की भावुक क्रियाएं संपन, वैराग्य के मार्मिक दृश्यों से बही अश्रुधारा

पंचकल्याणक महोत्सव:तप कल्याणक की भावुक क्रियाएं संपन, वैराग्य के मार्मिक दृश्यों से बही अश्रुधारा

   संवाददाता मो जावेद
          
छपरौली | धर्म नगरी में चल रहे  पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव की सुबह मंत्र आराधना के साथ जन्म कल्याण पूजा एवं हवन का आयोजन तथा आरती उतारी गई |

धर्म सभा में ज्ञानानंद जी शिवानंद जी प्रश्मानंद जी महाराज सघंघ ने प्रवचन में कहा कि, दीक्षा प्रदान कर तप की क्रियाएं पूर्ण की जाती हैं, तो देवों द्वारा वैराग्य की आराधना की जाती है | जब वह जीव आत्म कल्याण के लिए दिगम्बर मुद्रा धारण कर घर परिवार, रिश्ते नाते और जड़ द्रव्यो (राज पाट) आदि से नाता तोड़कर वैराग्य धारणकर संसार का त्याग कर वन की और गमन कर जाते हैं और आत्म ध्यान में लीन हो जाते हैं। तब तप कल्याणक मनाया जाता है।

 तप कल्याणक की भावुक क्रियाएं हुई तथा वैराग्य के मार्मिक दृश्य देख दर्शकों की बही अश्रुधारा। समिति के अध्यक्ष प्रदुमन जैन पीयूष जैन संजीव जैन राकेश जैन सचिन जैन प्रिंस जैन व मीडिया प्रभारी अमित जैन ने बताया कि, श्री पंचकल्याणक महोत्सव में तप कल्याणक के दौरान भगवान के नामकरण संस्कार से लेकर विवाह, तदुपरांत वैराग्य दीक्षा, वन प्रस्थान आदि का मनोहारी चित्रण चक्रेश जैन सोजना (म.प.) द्वारा प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित हजारों श्रावक मंत्रमुग्ध होकर कार्यक्रम को निहारते रहे। महोत्सव का शुभारंभ मंत्र आराधना से हुआ, उसके बाद नित्यमय पूजा-अभिषेक, तप कल्याणक के तहत बालक आदि कुमार से राजा बने। भगवान ने मनुष्य को असि (सैनिक कार्य), मसि (लेखन कार्य), कृषि (खेती), विद्या, शिल्प (विविध वस्तुओं का निर्माण), वाणिज्य-व्यापार के लिए प्रेरित किया और कला की शिक्षाएं आम जन की जीवन यापन के लिए प्रदान कीं। 

राजा के दरबार में नीलांजना का नृत्य देखकर राजा को वैराग्य उत्पन्न हो गया और वे दीक्षा लेने के लिए वन की ओर चल दिए। इस दृश्य को देखकर माता मरुदेवी अश्रुपूरित नेत्रों से भगवान को रोकने का प्रयास करती हैं। यह दृश्य देखकर पंडाल में उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर हो गए। निलांजना नृत्य की मोहक प्रस्तुति प्रज्ञा जैन एवं अनोखी जैन ने की। रात्रि के समय सांस्कृतिक कार्यक्रमों में महा आरती व मैजिक शो आयोजित हुआ। 

पंडित मनोज शास्त्री जी आहार वालों ने बताया की महोत्सव के पांचवें दिन सोमवार को ज्ञान कल्याणक पर नित्यमह पूजन के बाद महामुनि 108 आदिनाथ की प्रथम विधि आहार विधि होगी। दोपहर में महाराजश्री द्वारा सूर्य मंत्र दिया जाएगा। केवल ज्ञान कल्याणक पूजा और समवशरण रचना, प्राणप्रतिष्ठा होगी। इस मौके पर समिति ने बाहर से आए हुए अतिथियों का स्वागत व अभिनंदन किया। इस अवसर पर महिला मंडल आचार्य वसुनंदी युवा मंच सौरभ सागर सेवा समिति बाल मंडली कालूराम जैन दीपक जैन सत्येंद्र जैन गौरव भैया अर्पित जैन शुभम जैन यश जैन अभिषेक जैन अन्नू उज्जवल जैन राजेश जैन राहुल जैन विशाल जैन एडवोकेट आदि श्रद्धालु उपस्थित रहे।