शांत परिणाम, सहनशीलता से ही मानव बन जाता है महामानव : जैन मुनि
••आठ ब्रह्मचारियों की दीक्षा पूर्व हुई गोद भराई
संवाददाता आशीष चंद्रमौली
बडौत | जैन संत आचार्य विशुद्धसागर ने दिगंबर जैन समाज समिति द्वारा आयोजित धर्मसभा में कहा कि, जिसका जन्म होता है ,उसका मरण भी निश्चित है , लेकिन जो मरण के पूर्व परिणामों को संभाल लेता है, भावों में सुधार , अच्छे कार्यों में समय , जीवों पर दया , प्रभु का स्मरण, साधुओं की सेवा तथा सदाचार पूर्वक जीवन जीता है, उसका भविष्य निर्मल हो जाता है।
कहा कि, जैसे बीज बोओगे वैसे फल लगेंगे। करनी का फल स्वयं को ही भोगना पड़ता है ।सज्जन किसी के साथ विश्वासघात नहीं करते हैं। ज्येष्ठ पुरुष जिस पर विश्वास करते हैं उसे महत्वपूर्ण कार्य सौंपते हैं। विश्वास करो, पर सोचो, समझो, संभलो। चिंतन बहुत जरूरी है। विशालता को प्राप्त करना है ,तो विश्वास के पात्र बनो। सफलता को प्राप्त करना है, तो आस्था विश्वास के साथ वास करो ।विश्वासघाती का कभी भला नहीं होता । शांत परिणाम, सहनशीलता, मानव को महामानव बना देता है। विशालता के लिए हृदय की विशालता भी जरूरी है | सभा का संचालन पं श्रेयांस जैन ने किया।
मीडिया प्रभारी वरदान जैन ने बताया कि ,आज प्रवचन के बाद 8 दीक्षार्थी भाइयो की गोद भराई हुई। इस दौरान जैन श्रद्धालुओं ने मंगल गीत गाए। बताया कि,शीघ्र ही एक भव्य समारोह मे दीक्षार्थी भाइयों की मुनि दीक्षा संपन्न होगी और वे मुनि बनकर मोक्ष के मार्ग की ओर अग्रसर होंगे। बताया कि, 14 से 16 अगस्त तक आचार्य श्री के मंगल प्रवचन अजितनाथ सभागार, मंडी में होंगे।
सभा मे प्रवीण जैन, सुनील जैन, संदीप जैन, अतुल जैन,विनोद जैन, वरदान जैन, राकेश सभासद,अशोक जैन, मनोज जैन, पुनीत जैन, दिनेश जैन,धनेंद्र जैन, अशोक जैन, सुदेश जैन, रमेश जैन आदि उपस्थित रहे।