जीवन अनमोल है, इसकी महिमा को जानें तथा विकास में समय व्यतीत करें : गुरुवर विशुद्ध सागर
संवाददाता आशीष चंद्रमौली
बड़ौत। दिगम्बर जैनाचार्य गुरुवरश्री विशुद्धसागर ने ऋषभ सभागार मे धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि ,दुनिया में जो होना है ,सो होना है, व्यक्ति व्यर्थ में ही सोचकर अपने परिणामों को संक्लेषित करता है । हम सोच सकते हैं, पर दुनिया को अपने अनुसार चला नहीं सकते। कहा कि,जो होता है सो होता है, व्यक्ति व्यर्थ ही रोता है। जीवन अनमोल है, इसकी महिमा को जानकर, अपने विकास में समय व्यतीत करें।दूसरों की चिंता में अपने जीवन को नष्ट न करें।
कहा कि,परचिंता से स्वयं का हित नहीं हो सकता है। चिंता से समाधान नहीं मिलता, चिंतन से समस्या के समाधान मिलते हैं। पुण्य कुछ बढ़ाओ, चिंता घटाओ, जीवन को खुशहाल बनाओ। पुण्य के संयोग में ही सुख के साधन मिलते हैं। धर्म को समझो, धर्म ही मंगल है, धर्म ही उत्तम है, धर्म ही शरण है। धर्म वही श्रेष्ठ है, जो उत्तम सुख प्रदान करे। धर्म के फल से श्वान भी स्वर्ग का देव हो जाता है। अपने कर्तव्यों का पालन करो।
जैन मुनि ने कहा कि,पुण्यात्मा को अपने आप ही सर्व सम्पत्तियाँ एवं सिद्धियाँ प्राप्त हो जाती हैं। पुण्यात्मा के विचार भी पवित्र होते हैं, जबकि पापी को शुभ विचार भी नहीं आते।सभा का संचालन पं श्रेयांस जैन ने किया।सभा मे प्रवीण जैन, सतीश जैन, वीरेंद्र पिण्टी,पुनीत जैन, एड विनोद जैन, अतुल जैन, विवेक जैन, दिनेश जैन, अशोक जैन आदि उपस्थित रहे।