वेदों का श्रवण और मनन करने से श्रेष्ठ कर्म की ओर प्रवृत्ति निश्चित : आ अरविंद

वेदों का श्रवण और मनन करने से श्रेष्ठ कर्म की ओर प्रवृत्ति निश्चित : आ अरविंद

रंछाड़ में सामवेद यज्ञ का दूसरा दिसंवाददाता मनोज कलीना

संवाददाता मनोज कलीना

बिनौली | रंछाड़ गांव में चल रहे सामवेद पारायण यज्ञ के दूसरे दिन शनिवार को वैदिक विद्वान् आचार्य अरविंद शास्त्री ने कहा कि ,वेद परमात्मा की वाणी है, जिसके श्रवण और मनन से स्वत: स्फूर्त होकर मनुष्य श्रेष्ठ कर्म की ओर प्रवृत्त हो जाता है। 


बरनावा के ऐतिहासिक लाक्षागृह गुरुकुल के प्रधानाचार्य अरविंद शास्त्री ने वेदोपदेश देते हुए कहा कि , वेद उत्तम मनुष्य बनने व उत्तम संतान पैदा करने का उपदेश देते हैं। वेद के स्वाध्याय से मनुष्य को ज्ञान होता है कि, यह संसार परमात्मा ने बनाया है। मनुष्य जैसा कर्म करता है, वैसा ही फल उसे प्राप्त होता है। यह विचार मानव को पुण्यात्मा, सदाचारी, दयालु, परोपकारी, निर्भय और मानवता के गुणों से सुशोभित करता है। उन्होंने कहा कि,वेद हमे जीवन जीने की कला सिखाते हैं। परमात्मा, राष्ट्र और विश्व के प्रति कर्तव्य बोध कराते हैं। 

इस अवसर पर स्वामी सत्यवेश ने समाज सुधार से ओतप्रोत काव्यपाठ कर भाव विभोर किया। रोहित शास्त्री ने सस्वर वेदपाठ किया। महावीर सिंह, विरेंद्र तोमर, अंतुरत प्रधान, संजीव तोमर, एसआई ओमवीर सिंह, कृष्णपाल, देवेंद्र प्रधान, ओंकार सिंह, परविंद्र आदि मौजूद रहे।