सिद्ध और समर्थ गुरु के शरणागत होने पर होता है कल्याण - स्वरुपानंद गिरी

सिद्ध और समर्थ गुरु के शरणागत होने पर होता है कल्याण - स्वरुपानंद गिरी

झिंझाना। श्रवण ,चिंतन और मनन अच्छे शिष्य का परिचायक होता है। और सिद्ध और समर्थ गुरु के शरणागत होने पर कल्याण होता है। सिद्ध गुरु भौतिक सुख-सुविधाओं से परे रहकर भगवान के भजन के साथ समाज कल्याण में लीन रहते हैं।
   कस्बे के मंदिर ठाकुरद्वारा में गीता सत्संग भवन में धार्मिक भक्त समाज के मुख्य संचालक संत स्वरूपानंद गिरी जी ने संध्या सत्संग बेला में श्रद्धालुओं को प्रवचन में समझाया। संत ने कहा सत्संग के तीन बिंदु मुख्य है जिसमें एक अच्छा शिष्य सत्संग सुनकर श्रवण चिंतन और मनन कर अपना कल्याण कर लेता है। संत ने फरमाया सिद्ध और समर्थ गुरु के शरणागत होने पर कल्याण होता उन्होंने कहा सिद्ध और समर्थ गुरु भौतिक सुखों के अधीन नहीं होता बल्कि वह भगवान के भजन के साथ-सथ समाज कल्याण मैं तो हमेशा तत्पर रहता है। सद्गुरु के प्रति सच्चा प्रेम और आनंद होना चाहिए। संत ने फरमाया योग्य एवं सिद्ध गुरू के संपर्क में आने पर प्राणी का कल्याण हो जाता है। सद्गुरु के सानिध्य में आकर विवेक जागृत हो जाता है। मानव को चाहिए कि वह इस संसार में क्यों आया है ? और उसे क्या करना है ? कहां जाना है ?, पर आत्म अवलोकन और चिंतन मनन जरूर करना चाहिए।