झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे ही जिंदा है मेरठ जनपद के लाखों ग्रामीण।

झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे ही जिंदा है मेरठ जनपद के लाखों ग्रामीण।

वसीम अहमद।

मेरठ/मुंडाली। देश में एक समय ऐसा आया था जब हर तरफ कोरोना देश के हर एक शहर से लेकर गांवों में अपने पैर पसार चुका था और शहर की चिकित्सा सेवा गांव के लोगों के लिए दूर की कौड़ी साबित हो रही थी आप उन्हें झोलाछाप डॉक्टर कह सकते हैं, लेकिन उस कोरोना काल में भी बिना डरे वो दिन रात रोगियों की सेवा में लगे हुए थे सबसे बड़ी बात है कि गांव के डॉक्टर आसानी से उपलब्ध हैं और किसी आपातकाल में गांव के लोग रात 12 बजे भी उनके घर की कुंडी खटका सकते हैं कोरोना की इस विपदा में जब शहरों के अस्पतालों में बेड खाली नहीं थे तो गांव के लोगों के लिए ऐसे ‘डॉक्टर’ एक बड़ा सहारा साबित हुए थे।

लोगों को हर एक बीमारी की लगभग सटीक दवा लिखते हैं गांव के डाक्टर

यहां पर हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के जनपद मेरठ की जहां पर प्रत्येक गांव में दो-चार डॉक्टर जरूर मिल जाएंगे जिनके पास डिग्री भले ना हो लेकिन वे किसी प्रोफेशनल की तरह काम करते हैं और किसी एमबीबीएस डॉक्टर की तरह पर्चा भी लिख सकते हैं बिना लेटर हेड के प्लेन कागज पर वो सारी दवाएं लिख लेते हैं जोकि कारगर साबित होती हैं। ये डॉक्टर ब्लड प्रेशर, शरीर का तापमान, ब्लड शुगर तथा दिल की धड़कन आदि की जांच आसानी से कर सकते हैं तथा किसी का हाथ-पैर टूटने की स्थिति में भी अब शहर भागने की जरूरत कम ही पड़ती है। ये झोलाछाप डॉक्टर छोटे-मोटे हादसे में टांका भी लगा लेते हैं और टिटनेस का इंजेक्शन लगाने में तो इन्हें जैसे महारत हासिल है।

लाखो झोलाछाप डॉक्टरों के भरोसे है मेरठ के सैकड़ों गांव

ये आंकड़ा आपको बड़ा लग रहा होगा लेकिन ये उस जनपद की कहानी है जहां सभी डॉक्टर हैं और बिना चिकित्सीय सलाह के दवा लेना लोगों की आदत में शुमार है शायद यही वजह कि मेरठ की खैर नगर में स्थित दवाईयां मार्केट दूर दूर तक नामी गिरामी है मेरठ का कम पढ़ा लिखा आदमी भी आपको 5-10 अंग्रेजी दवाओं के नाम और उनके फायदे बता देगा मेरठ में लाखो झोलाछाप डॉक्टर हैं, जो लंबे समय से ग्रामीण चिकित्सक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं मेरठ जनपद के अजराड़ा, मुंडाली, सफियाबाद लौटी,जसौरी, रछौती, हसनपुर आदि सहित लगभग 700 गांवों में इन्हीं चिकित्सकों के भरोसे लोग अपना इलाज करा रहे हैं किसी गंभीर बीमारी की स्थिति में ही ग्रामीण शहरों का रुख करते हैं 

कौन होते हैं झोलाछाप डॉक्टर।

आपके मन में ये सवाल जरूर आ रहा होगा कि ये झोलाछाप डॉक्टर होते कौन हैं? इनमें ज्यादातर ऐसे लोग हैं जिन्होंने किसी डॉक्टर के यहां हेल्पर के रूप में काम किया है बिना डिग्री के ये कंपाउंडर काम सीखने के बाद अपनी प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं इनके अलावा डॉक्टर के सगे संबंधी भी उनके नाम का इस्तेमाल कर अपनी दुकान खोल लेते हैं इनमें कुछ ऐसे भी हैं जो डॉक्टर बनने का सपना पूरा ना होने की स्थिति में पैरा मेडिकल का छोटा मोटा कोर्स कर लेते हैं और अपनी प्रैक्टिस शुरू कर देते हैं इनके अलावा गावों में दवा की दुकान चलाने वाले लोग भी चिकित्सक का काम कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के हजारों गांवों में आपको ऐसे ही डाक्टर बाबू मिल जाएंगे जो ना सिर्फ रोगियों की सेवा कर रहे हैं बल्कि चिकित्सा व्यवस्था की रीढ़ की हड्डी बने हुए हैं