अंडमान नीकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्टब्लेयर अब श्री विजया पुरम् के नाम से जानी जाएगी

अंडमान नीकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्टब्लेयर अब श्री विजया पुरम् के नाम से जानी जाएगी
पोर्टब्लेयर का समुद्री तट

महेंद्र राज (मण्डल प्रभारी)

केंद्र ने "देश को औपनिवेशिक पहचान से मुक्त कराने" के लिए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की राजधानी पोर्ट ब्लेयर का नाम बदलकर 'श्री विजय पुरम' कर दिया है। पोर्ट ब्लेयर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह का प्रवेश बिंदु है। इस शहर का नाम ईस्ट इंडिया कंपनी के ब्रिटिश औपनिवेशिक नौसेना अधिकारी कैप्टन आर्चीबाल्ड ब्लेयर के नाम पर रखा गया था।भौगोलिक स्थिति के अनुसार समुद्री सैन्य सुरक्षा के लिए सुदृढ़ माना जाने वाला यह स्थान कभी चोल शासकों का नौ सेना संचालन का बेस भी माना जाता है।

ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल की सरकार के तहत 1789 में अंडमान तथा निकोबार द्वीप समूह पर कब्जा कर लिया।इस द्वीप समूह पर कब्जा करने के बाद इसे सेलुलर जेल की तरह इस्तेमाल करने लगा जहां आजादी की लड़ाई में पकड़े जाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को कैद रखा जाता था और क्रूरता की सारी हदें पार कर दी जातीं थीं।इसे काला पानी की सजा कहा जाता था।वीर सावरकर समेत कई स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को यहाँ स्थित सेलुलर जेल की कोठरियों  में कैद रखा गया था। 

समय के साथ ही अंग्रेज अपने जहाजों के आवागमन के लिए भी इसका इस्तेमाल किया। 1857 की क्रांति के बाद पोर्ट ब्लेयर इसी जेल की वजह से एक अहम प्रशासनिक केंद्र बन गया।

गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया पर इसके नाम परिवर्तन की घोषणा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर यह निर्णय लिया गया है।गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह नाम आजादी की लड़ाई में हासिल हुई जीत का प्रतीक है।यह द्वीप क्षेत्र कभी चोल साम्राज्य का नौसैनिक अड्डा था।यहीं पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने पहली बार तिरंगा फहराया था।वीर सावरकर और दूसरे स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत को आजादी दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी थी।श्री विजया पुरम नाम उस संघर्ष और वीरता को समर्पित है जो इस क्षेत्र ने आजादी की लड़ाई के दौरान दिखाई थी।