बजरंगबली के दिव्य दर्शन के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं हनुमान धारा।

बजरंगबली के दिव्य दर्शन के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं हनुमान धारा।

चित्रकूट: हनुमान धारा मंदिर की 618 सीढियां चढकर अभी तक श्रद्धालुओं को दर्शन मिलते थे। अब रोपवे से सुरक्षित और आसान तरीके से श्रद्धालु प्रभु दर्शन कर रहे हैं। 302 मीटर लम्बी रोप-वे के सफर में 500 श्रद्धालु प्रति घंटे में आ-जा सकते हैं। रोप-वे शुरू होने से यहां प्रतिदिन पहुंचने वाले हजारों श्रद्धालुओं को महज पांच मिनट में पहाड़ की चोटी पर पहुंचकर भगवान हनुमान के दर्शन प्राप्त हो रहे हैं। एक मिनट को रोप-वे को बीच में रोका जाता है, जिससे श्रद्धालु चित्रकूट के नैसर्गिक नजारों का भी दीदार करते हैं।

   नवरात्रि के पावन दिनों में भगवान बजरंगबली के दिव्य दर्शन के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आ रहे है। हनुमान धारा के बारे में कहा जाता है कि जब बजरंगबली ने लंका में आग लगाई, उसके बाद उनकी पूंछ में लगी आग को बुझाने के लिए वो इस जगह आये, जिन्हे भक्त हनुमान धारा कहते है। यह विन्ध्यास के शुरुआत में रामघाट से 4 किलोमीटर दुर है। एक चमत्कारिक पवित्र और ठंडी जल धारा पर्वत से निकल कर बजरंगबली की मूरत की पूँछ को स्नान कराकर नीचे कुंड में चली जाती है। कहा जाता है कि जब बजरंगबली ने लंका में अपनी पूँछ से आग लगाई थी, तब उनकी पूँछ पर भी बहुत जलन हो रही थी। रामराज्य में भगवन श्री राम से बजरंगबली विनती की। जिससे अपनी जली हुई पूँछ का इलाज हो सके। तब श्री राम ने अपने बाण के प्रहार से इसी जगह पर एक पवित्र धारा बनाई जो बजरंगबली की पूँछ पर लगातार गिरकर पूँछ के दर्द को कम करती रही। यह जगह पर्वत माला पर है। हनुमान धारा वर्तमान में यह चित्रकूट स्थान उत्तर प्रदेश के बांदा जिले की कर्वी तहसील तथा मध्यप्रदेश के सतना जिले की सीमा पर स्थित है। यूं तो भारत में एक से बढ कर एक बजरंगबली के भव्य मंदिर हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के बांदा से लगे मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित चित्रकूट धाम के हनुमान धारा मंदिर की बात ही कुछ और है। आज भी वहां बजरंगबली की बायीं भुजा पर लगातार जल गिरता नजर आता है। वहां विराजे बजरंगबली की आंखों को देख कर ऐसा लगता है, मानो हमें देख कर वह मुस्करा रहे हैं। साथ में भगवान श्रीराम का छोटा-सा मंदिर भी वहां है।