सुसाइड नोट में छलका दर्द: मैं एक्सट्रा कुछ न कर सकी एक पेज पर बस लाइनें; पढ़ें पांच पन्नों में क्या लिखा

सुसाइड नोट में छलका दर्द:  मैं एक्सट्रा कुछ न कर सकी  एक पेज पर बस लाइनें; पढ़ें पांच पन्नों में क्या लिखा

आईआईटी के हॉस्टल में पीएचडी (भू-गर्भ विज्ञान) तृतीय वर्ष की छात्रा प्रगति (27) ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। छात्रा अपने पीछे पांच पेज का सुसाइड नोट छोड़कर गई है। पांच पेज के सुसाइड नोट में दो पेज खाली हैं। एक पेज में केवल इतना लिखा है कि मेरी मौत के लिए किसी को दोष न दिया जाए। एक पेज में केवल लाइन खिंची हुई है। दूसरे पेज में परिवार वालों के नाम का जिक्र करते हैं लिखा है कि ऐसा नहीं है कि मैं कुछ कर नहीं सकती।

पीएचडी पूरी करके आगे और पढ़ाई के साथ काम भी कर सकती हूं। हां, एक्सट्रा कुछ नहीं कर सकी। पुलिस अधिकारी के मुताबिक सुसाइड नोट से लग रहा है कि प्रगति अकेलापन महसूस कर रही थी, लेकिन वजह क्या हो सकती है यह तो उसके परिवार के लोग ही जान सकते हैं। बताया जा रहा है कि सुसाइड नोट में किसी लड़के का नाम और मोबाइल नंबर भी लिखा है। इस बारे में पुलिस जांच कर रही है। वहीं, प्रगति ने अपने दोस्तों के लिए लिखा है कि आप लोगों ने मुझे बहुत कोऑपरेट किया, इसके लिए थैक्स...। पुलिस का कहना है कि नोट में किसी पर कोई आरोप नहीं लगाया गया है। आवश्यकता पड़ने पर सुसाइड नोट की हैंडराइटिंग एक्सपर्ट से जांच भी कराई जाएगी।

यह था मामला
छात्रा ने गुरुवार तड़के फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली। सुबह जब काफी देर तक छात्रा ने साथियों का फोन नहीं उठाया तो अनहोनी का शक हुआ। पुलिस ने कमरे का दरवाजा तोड़ा तो पंखे से रस्सी के सहारे छात्रा का शव फंदे से लटक मिला।

मौके से सुसाइड नोट मिला है। एसीपी अभिषेक पांडे ने बताया कि सुसाइड नोट में छात्रा ने खुद को ही अपनी मौत का जिम्मेदार बताया है। चकेरी के सजारी सनिगवां निवासी गोविंद खरया की बेटी प्रगति आईआईटी के हॉस्टल में चौथी मंजिल के कमरा संख्या डी-116 में रहकर पीएचडी कर रही थी। गुरुवार सुबह प्रगति अपनी क्लास में नहीं पहुंची तो उसके साथियों ने फोन किया। जब फोन रिसीव नहीं हुए न ही वह कमरे से बाहर आई तो साथियों ने आईआईटी प्रबंधन को सूचना दी। इसके कुछ देर बाद पुलिस मौके पर पहुंची और कमरे का दरवाजा तोड़कर प्रगति का शव बरामद किया।

तड़के ही लगाया था प्रगति ने फंदा
प्रगति के शव का तीन डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया। वीडियो फोटोग्राफी भी हुई। माना जा रहा है कि प्रगति ने गुरुवार तड़के फंदा लगाया है।  पोस्टमार्टम में हैंगिग (फंदे) से मौत की पुष्टि हुई है।

मां बोली- मौत से पहले उदास थी प्रगति, पुलिस ने क्यो नहीं किया इंतजार 
बेटी प्रगति बहादुर थी, वह आत्महत्या नहीं कर सकती। उसकी मौत की खबर गुरुवार दोपहर दो बजे दी गई। उसके पास मिला सुसाइड नोट भी पुलिस ने परिवार को नहीं दिया। जांच के नाम पर मोबाइल भी रख लिया। यह आरोप बेटी की मौत से बदहवास हुई मां संगीता ने लगाए। संगीता का कहना है कि आईआईटी प्रशासन ने ही बेटी की जान ली है।

कहा था- जुकाम की वजह से उतरा है चेहरा
प्रगति की मां संगीता के मुताबिक बुधवार की देर शाम भी उनकी बेटी से वीडियो कॉल पर बात हुई थी। उसका चेहरा काफी उतरा हुआ था, लग रहा थी कि वह परेशान है। उससे काफी पूछा, लेकिन उसने कुछ भी नहीं बताया। बोली कि जुकाम की वजह से चेहरा उतरा है। इसके बाद उन्हें रात भर ठीक से नींद नहीं आई।

मौत की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए
गुरुवार सुबह उठते ही प्रगति को क़ई बार फोन किया, लेकिन उठा नहीं तो लगा कि शायद बेटी लैब या क्लास में व्यस्त हो। फिर दोेपहर दो बजे फोन आया कि आप लोग अर्जेंट आ जाओ। प्रगति ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली है। आरोप है कि जब परिवार के लोग वहां पहुंचे तो कमरे का दरवाजा खुल चुका था। संगीता का कहना है कि बेटी की मौत की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

रात नौ बजे पहुंचा शव, आज होगा अंतिम संस्कार
पोस्टमार्टम के बाद गुरुवार की रात नौ बजे प्रगति का शव जैसे ही उसके चकेरी स्थित घर पर पहुंचा, इलाकाई लोगों की भीड़ लग गई। मां संगीता का रो-रोकर बुरा हाल था। पड़ोस की महिलाओं ने उन्हें बड़ी मुश्किल से संभाला। परिजनों ने बताया कि प्रगति का भाई शिवम राउलकेला में शुक्रवार को उसके आने पर ही शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा।

मोहल्ले की सड़क के लिए भी की थी भागदौड़
मोहल्ले की महिलाओं ने बताया कि प्रगति मेधावी होने के साथ-साथ काफी सामाजिक भी थी। मोहल्ले की खराब सड़क बनवाने के लिए भी प्रगति ने अधिकारियों के दफ्तरों के कई चक्कर लगवाए थे, लेकिन आखिर में सड़क बनवा कर ही दम लिया था। बताया कि परिवार मूलरूप से उरई का रहने वाला है, वह कई वर्षों से सनिगवां के सजारी फार्म मुहल्ले में अपना मकान बनाकर रह रहा है।

पढ़ाई का टेंशन होना साथियों की समझ से परे
सीनियर प्रोफेसरों का कहना है कि प्रगति का एकेडमिक रिकार्ड अच्छा रहा है। प्रगति के साथी भी मानते हैं कि पढ़ाई के तनाव की बात गले से नहीं उतर रही है। पीएचडी कोर्स वर्क में उसे 8.13 सीपीआई मिला था। हर सेमेस्टर के ग्रेड भी अव्वल रहे हैं। हालांकि आत्महत्या के पीछे के कारणों की जांच के लिए कमेटी का गठन है। आंतरिक जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।

तीन आत्महत्याओं के बाद हुआ था ग्रेडिंग में बदलाव
एक माह में हुई तीन आत्महत्याओं के बाद आईआईटी में छात्रों की ग्रेडिंग सिस्टम में 2023-24 सत्र से बड़ा बदलाव किया गया है। छात्रों को मानसिक तनाव न हो इसके लिए ए, बी, सी के आधार पर होने वाली ग्रेडिंग को अब ए एप्लस, बी बीप्लस कर दिया गया। अंग्रेजी की दिक्कत को देखते हुए छात्रों के लिए इसकी भी कक्षाएं संचालित की जाने लगी हैं।

फैलोशिप के पैसों से घर बनवाने के लिए की थी मदद
पीएचडी करने के साथ-साथ प्रगति अपने परिवार की भी जिम्मेदारी निभा रही थी। परिवार के जिस किसी भी सदस्य पर जब भी कोई मुश्किल आती थी तो वह अपने फैलोशिप से मिलने वाले पैसों से उनकी मदद किया करती थी। हंसमुख इतनी थी कि सभी से हंसते-मुस्कुराते हुए बात करती और बात करने वाले को हंसाती थी। हर रोज सुबह अपनी दो साल की भतीजी दिशा व घरवालों से वीडियोकाल से बातें करना उसकी दिनचर्या में शामिल था। 

बड़े भाई को व्यवसाय भी कराया
पिता गोविंद ने बताया कि प्रगति ने बड़े भाई सत्यम को स्टेशनरी का काम शुरू करने में मदद की और घर बनवाने के लिए अपने जोड़े हुए रुपये दिए थे। भाई सत्यम का कहना है कि सभी की परेशानियों को दूर करने वाली प्रगति को यदि कोई परेशानी थी तो वह परिवार के सदस्यों को बता सकती थी। पिता गोविंद का कहना है कि वह आईआईटी से प्रशासन से पूछेंगे जरूर कि बेटी के साथ आखिर कैंपस में ऐसा क्या हुआ जो उसने जान देने का फैसला किया।

कैंपस में ही मनाया था लाडली दिशा का जन्मदिन
बड़े भाई सत्यम की दो साल की बेटी दिशा को प्रगति बेहद प्यार करती थी। बीती सात सितंबर को आईआईटी कैंपस में ही प्रगति ने दिशा का जन्मदिन पूरे परिवार के साथ मनाया था। सत्यम के मुताबिक वीडियोकाल में सबसे पहले प्रगति भतीजी दिशा से ही बात किया करती थी। बुधवार सुबह भी प्रगति ने दिशा व परिवार के लोगों के साथ बात की थी। गुरुवार को जरूर फोन नहीं आया, लेकिन क्या पता था कि दोपहर तक उसकी मौत की खबर ही आ जाएगी।

पृथ्वी के पानी पर शोध कर रही थी प्रगति
आईआईटी पीएचडी में प्रवेश प्रक्रिया आसान नहीं होती है। गेट पास करने और एक लंबे साक्षात्कार से गुजरने के बाद ही छात्र को प्रवेश दिया जाता है। प्रगति के पीएचडी सुपरवाइजर प्रो.टीएच सय्यद रहे। वह हाइड्रोजियोलॉजी यानी पृथ्वी के पानी और रिमोट सेंसिंग पर शोध कर रही थीं।

आईआईटी प्रशासन ने जताया शोक
आईआईटी निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल इस वक्त अमेरिका में हैं। उनका कहना है कि घटना की जानकारी हुई है, लेकिन कारण नहीं मालूम है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। वहीं, आईआईटी प्रशासन की ओर से मेधावी छात्रा के खोने का शोक जताया है। पत्र जारी कर कहा कि दिसंबर 2021 में उन्होंने पीएचडी प्रोग्राम में दाखिला लिया था। शुरू से मेधावी रही हैं।

बोले पूर्व छात्र- रूम पार्टनर होने से कम होगा तनाव
कुछ पूर्व पीएचडी छात्रों का कहना है कि संस्थान में पीएचडी का प्रेशर होता है। पीएचडी में कोर्स और प्रैक्टिकल दो तरह के काम होते हैं। जब प्रैक्टिकल के रिजल्ट बेहतर नहीं मिलते हैं तो छात्र तनाव में आ जाता है। पूर्व छात्रों के मुताबिक पीएचडी करने वाले को सिंगल सीटेड रूम दिया जाता है, इसमें बदलाव की आवश्यकता है। दो लोगों के साथ रूम होने से साथी से मन की बात करके मानसिक तनाव को कम किया जा सकता है।

किन हालात में जान दे रहे मेधावी, रोकने के क्या किए प्रयास
कानपुर। आईआईटी में बीती जनवरी में हुई आत्महत्याओं पर पब्लिक वेलफेयर एसोसिएशन के महामंत्री पंकज कुमार सिंह ने मानवाधिकार आयोग से शिकायत की थी। इसके बाद इसी साल अगस्त में आयोग (एनएचआरसी) ने आईआईटी प्रशासन से इसके कारणों का जवाब मांगा था। नोटिस के माध्यम से प्रशासन से पूछा गया कि छह सप्ताह में उन परिस्थितियों के बारे में बताया जाए, जिनके चलते छात्र आत्महत्या के लिए मजबूर हुए। इसका जिम्मेदार कौन है। ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए आईआईटी प्रशासन की ओर से अब तक क्या उपाय किए गए। नोटिस का क्या जवाब दिया गया, इस बारे में फिलहाल आईआईटी प्रशासन की ओर से कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है।