13 जनवरी 1996 को आरोग्यधाम के शिलान्यास के दौरान और दूसरी बार 15 अप्रैल 2002 को स्वावलम्बन अभियान के लोकार्पण में चित्रकूट आए थे रतन टाटा’

13 जनवरी 1996 को आरोग्यधाम के शिलान्यास के दौरान और दूसरी बार 15 अप्रैल 2002 को स्वावलम्बन अभियान के लोकार्पण में चित्रकूट आए थे रतन टाटा’

शीर्ष उद्योगपति और समाजसेवी रतन टाटा के निधन पर दीनदयाल शोध संस्थान में दी गई श्रद्धांजलि, शोकसभा का हुआ आयोजन’

- अपने दादाजी जेआरडी टाटा की स्मृति में आरोग्यधाम जैसा एक यादगार सेवा प्रकल्प किया तैयार’

- रतन टाटा सदैव भारत के अनमोल रत्न के रूप में भारतीय क्षितिज पर चमकते रहेंगे - अभय महाजन’

चित्रकूट: भारतीय उद्योग जगत के शीर्ष पुरुष, पद्म भूषण रतन टाटा के निधन पर दीनदयाल शोध संस्थान के प्रत्येक प्रकल्प में शोक सभा का आयोजन किया गया। जिसमें संस्थान के प्रमुख कार्यकर्ताओं ने शोक व्यक्त करते हुए दिवंगत आत्मा को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

  दीनदयाल शोध संस्थान के राष्ट्रीय संगठन सचिव अभय महाजन ने कहा कि देश के शीर्ष उद्योगपति और समाजसेवी रतन टाटा के निधन से दीनदयाल शोध संस्थान परिवार ने अपना एक अभिभावक खो दिया है। उनकी मृत्यु से एक ऐसे युग का अंत हो गया है जिसने भारत में उद्यमिता के साथ समाजसेवा के क्षेत्र में देश की उदात्त परंपराओं को निभाया और दोनों क्षेत्रों में नवाचार भी गढे। रतन टाटा सदैव भारत के अनमोल रत्न के रूप में भारतीय क्षितिज पर चमकते रहेंगे। संस्थान पर उनका स्नेह निरंतर बना रहा, उनकी विनम्रता, दूरदर्शिता और नेतृत्व ने देश को एक नई दिशा दी। उनका जाना न केवल उद्योग जगत बल्कि पूरे देश के लिए अपूर्णीय क्षति है।

   डीआरआई के कोषाध्यक्ष वसंत पंडित ने कहा कि नानाजी देशमुख से उनके बहुत गहरे रिश्ते थे। नानाजी की कर्मस्थली चित्रकूट में रतन टाटा ने अपने दादाजी जेआरडी टाटा की स्मृति में एक यादगार सेवा प्रकल्प खडा किया जिसे आज हम सब लोग आरोग्यधाम के नाम से जानते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में इसका नाम प्रमुखता से लिया जाता है। दीनदयाल शोध संस्थान में स्वावलम्बन अभियान के लोकार्पण कार्यक्रम और आरोग्यधाम के स्थापना काल में दो बार रतन टाटा का चित्रकूट आगमन हुआ है। पहली बार 13 जनवरी 1996 को आरोग्यधाम के शिलान्यास के दौरान और दूसरी बार 15 अप्रैल 2002 ग्राम लोढवारा, चित्रकूट में ग्राम स्वावलम्बन अभियान के शुभारंभ अवसर पर आना हुआ। डीआरआई परिवार की ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।

   इस दौरान दीनदयाल शोध संस्थान के आरोग्यधाम परिसर, दीनदयाल परिसर, तुलसी दास परिसर गनीवां, महर्षि वाल्मीकि परिसर मझगवां में संचालित सभी प्रकल्पों में स्व. रतन टाटा को भावपूर्ण विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए शोकसभा का आयोजन किया गया।