उत्साह और साहस के साथ ही आगे बढ़ना संभव, उमंग रहित अवसर मिलने पर भी नहींं कर सकते श्रेष्ठ कार्य : जैन संत

उत्साह और साहस के साथ ही आगे बढ़ना संभव, उमंग रहित अवसर मिलने पर भी नहींं कर सकते श्रेष्ठ कार्य : जैन संत

••अमेरिका की ब्रिटिश यूनिवर्सिटी आफ क्वीन मैरी ने आ विशुद्ध सागर को डीलिट की मानद उपाधि से किया अलंकृत

ब्यूरो डा योगेश कौशिक

बडौत | उत्साह व साहस के साथ ही व्यक्ति आगे बढ़ सकता है, लेकिन जिसके अंदर उमंग नहीं, वह अवसर मिलने पर भी श्रेष्ठ कार्य नहीं कर पाता। उत्साह शक्ति के अभाव में किसी भी कार्य की सिद्धि संभव नहीं है।उक्त वचन धर्म सभा में जैन संत आ विशुद्ध सागर ने व्यक्त करते हुए कहा कि,जागरूकता बहुत आवश्यक है, लेकिन जितनी जागृति आवश्यक है, उतनी ही सावधानी भी होनी चाहिए। 

     

कहा कि,सोते हुए व्यक्ति को छींटे मारकर जगाया जा सकता है, परंतु जो सोने का ढोंग कर रहा है उसे जागृत नहीं किया जा सकता। स्वयं के अंदर ललक होनी चाहिए। जिसके अंदर ललक होगी, वही झलक दिखाई देगी, झलक ही ललक का प्रतीक होती है। 

     

आचार्य श्री ने कहा कि, श्रेष्ठ व्यक्ति शीघ्र प्रभावित नहीं होते। व्यक्ति को अपने ज्ञान ,शारीरिक बल ,मानसिक मनोबल का भान होना चाहिए ,व्यक्ति को अपने व्यक्तित्व के अनुसार कृतित्व भी प्रभावी बनाना चाहिए, साथ ही जो धैर्यशाली क्षमावान, ज्ञानी, विवेकी और नीतिज्ञ होगा उसका प्रभाव स्वयं ही फैलने लगेगा। मुनि श्री ने कहा कि, भोजन और भेष का भावों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। विष की एक कनिका भोजन को विषाक्त कर देती है। ऐसे ही कषाय की एक कनिका चित्त को दूषित कर देती है। सभा का संचालन पंडित श्रेयांस जैन ने किया।

इस अवसर पर मीडिया प्रभारी वरदान जैन ने खुशखबरी देते हुए जैसे ही बताया कि, यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका की 'ब्रिटिश नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ क्वीन मैरी' द्वारा,चर्या शिरोमणि आचार्य विशुद्ध सागर जी मुनिराज को डाक्टरेट से ऊपर की उपाधि डॉक्टर ऑफ लिट्रेचर यानि डी लिट् की मानद उपाधि से विभूषित किया गया है, वैसे ही समस्त समाज में हर्ष की लहर दौड गयी और संत श्री के चरणों में बारंबार नमन करने लगे।सभा मे प्रवीण जैन, सुनील जैन, संदीप जैन, अतुल जैन,विनोद जैन, वरदान जैन, राकेश सभासद,अशोक जैन, मनोज जैन, पुनीत जैन, दिनेश जैन आदि व्यवस्था बनाए रखने में योगदान करते रहे |