धर्म क्षेत्रे, जीवन जीने की कला के जैन मुनि विशुद्ध सागर ने दिए सार्वभौमिक सूत्र, दीक्षार्थियों की हुई गोद भराई

धर्म क्षेत्रे, जीवन जीने की कला के जैन मुनि विशुद्ध सागर ने दिए सार्वभौमिक सूत्र, दीक्षार्थियों की हुई गोद भराई

संवाददाता आशीष चंद्रमौली

बडौत।दिगम्बर जैनाचार्य विशुद्धसागर जी महाराज ने कहा कि ,जैसे प्रातः काल पूर्व दिशा में सूर्य उदित होता है और संध्या काल में पश्चिम दिशा में अस्त हो जाता है, उसी प्रकार व्यक्ति का जन्म होता है और जीवन जीकर मृत्यु को प्राप्त होता है।कहा कि,सबके दिन एक से नहीं होते हैं तथा सब दिन एक से नहीं होते। 

नगर के ऋषभ सभागार में धर्मसभा में जैन मुनि ने कहा कि,दिन में सूर्य चमकता है, रात्रि में चंद्रमा चमकता है। पुण्यात्मा पर भी कष्ट आ जाते हैं। मनुष्य हो, देव हों, नारकी हो या तिर्यन्च, सभी को मृत्यु की गोद में सोना पड़ता है। चक्रवर्ती हो या सम्राट, तीर्थंकर हो या नारायण, सभी को जाना पड़ता है। जन्म के साथ, मृत्यु जुड़ी है। उन्होंने कहा कि, धैर्य मत छोड़ो, समता धारण करो। रात्रि के अंधकार से घबराओ मत। प्रात: सूर्य की किरण पड़ते ही अंधकार का क्षय हो जायेगा। समय बदलता है। बुरे दिन भी जाते हैं, अच्छे दिन भी जाते हैं। परिवर्तन प्रकृति का नियम है।

कहा कि,दगा देने वाला, ऋण लेने वाला, चरित्र भ्रष्ट, निर्धन और चिंता करने वाला ,क्षण भर भी शांति से नहीं बैठ पाता है। आनन्दित जीवन जीना है, तो किसी को दगा मत दो।शक्ति से अधिक ऋण मत लो, चरित्र में दोष मत लगाओ। आय से कम व्यय करो और व्यर्थ की चिंता मत करो। शांति से जियो और सबको जीने दो।संकटों में भी धैर्य रखो। साहस पूर्वक जीवन जियो। धैर्य से हर विपत्ति को दूर किया जा सकता है। धर्म प्रिय बनो, दृढ धर्मी बनो।आवश्यकताओं को कम करो। आकांक्षाओं को घटाओ। दया, करुणा, प्रेम, सत्यता पर दृष्टि रखो। 

धर्म सभा का संचालन डॉ श्रेयांस जैन ने किया।सभा मे प्रवीण जैन, सुनील जैन, अशोक जैन, धन कुमार जैन, आलोक सर्राफ, मनोज जैन, राकेश जैन, विनोद जैनआदि मौजूद रहे। मीडिया प्रभारी वरदान जैन ने बताया कि, आज दीक्षार्थियों की गोद भराई सुम्मी जैन हार्डवेयर वालो के यहाँ संपन्न हुई।