रटौल आम को जीआई टैग से बनी राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान, 6 जुलाई को रटौल में आम महोत्सव

रटौल आम को जीआई टैग से बनी राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान, 6 जुलाई को रटौल में आम महोत्सव

••1917 में आफाक फरीदी ने किया था इस प्रजाति का आविष्कार 
•• देश विदेश में अलग पहचान वाले रटौल आम की मुरीद हैं राजनीतिक हस्तियां भी

ब्यूरो डॉ योगेश कौशिक

बागपत।-राष्ट्र व प्रदेश स्तर पर जनपद बागपत की खेकड़ा तहसील क्षेत्र के नगर पंचायत रटौल का आम अपनी  एक नई पहचान रखता है। रटौल आम प्रजाति के नाम से प्रसिद्ध यह आम राज्य स्तर पर आम महोत्सव का प्रशंसनीय व आकर्षण का केंद्र रहा है।प्रतिवर्ष लखनऊ में प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा भी इस आम का अवलोकन किया जाता रहा है।इस बर्ष जनपद बागपत में जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह के निर्देशन में तहसील खेकड़ा क्षेत्र के नगर पंचायत  रटौल में आम महोत्सव का आयोजन 6 जुलाई को अपराह्न 2: बजे से किया जाएगा।

जिला उद्यान अधिकारी दिनेश कुमार अरुण ने बताया कि, इस जनपद स्तरीय आम महोत्सव में जनपद के सभी अधिकारी प्रतिभाग करेंगे।बताया कि, भारतवर्ष में पायी जाने वाली आम की प्रजातियों में रटौल प्रजाति मुख्य स्थान रखती है, जो उत्तर भारत के बागपत जनपद के खेकड़ा तहसील क्षेत्र के रटौल नगर पंचायत में उगायी जाती हैं। 

वर्ष 1917 में रटौल के कृषक श्री आफाक फरीदी ने अपने आम के बाग में एक विशेष प्रकार का आम का पौधा देखा, जिसका फल बहुत ही सुन्दर एवं गाजर जैसी सुगन्ध होने के कारण इन्होंने इसको अपने गांव के नाम से ही रटौल नाम दे दिया था तथा इसका एक अलग बाग भी तैयार किया था। उनकी लगन व मेहनत आजादी के बाद रंग लाई,जो भारत ही नहींं विदेश में भी काफी सराही गई। स्व इंदिरा गाँधी, राजीव गाँधी, चौ अजित सिंह भी इस आम के मुरीद रह चुके हैं।यह रटौल आम लगभग 150 से 200 ग्राम औसत में मध्यम आकार का होता है, खूबी यह कि, इसमें रेशे जरा भी नहीं, भरपूर रस का स्वाद तथा नारंगी रंग का आकर्षण, सबकी पहली पसंद बन जाता है। रटौल आम बहुत मीठा और बेहद ही स्वादिष्ट फल है, जिसके कारण लोग इसे खाना पसन्द करते हैं।

जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि, वर्ष 2022 में रटौल आम को जीआई टैग संख्या-206 प्रदान की गयी थी। जीआई टैग मिलने के कारण इसकी पहचान राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ हैं। इस बार रटौल में जनपद स्तरीय आम महोत्सव का आयोजन 6 जुलाई को किया जा रहा है, जिससे आम बागान मालिकों में काफी उत्साह और उम्मीद जगी है।