क्रोध एक भयंकर शत्रु, जो अपने परिवार के हठ, छल, धोखा, कपट, निंदा, अभिमान के साथ आता है:रवि शास्त्री
••योग एवं चरित्र निर्माण हेतु आर्य वीरों व वीरांगनाओं के लिए आवासीय शिविर
संवाददाता आशीष चंद्रमौलि
बडौत।जिला आर्य प्रतिनिधि सभा बागपत के तत्वाधान में नगर के चौ केहर सिंह दिव्य पब्लिक स्कूल में चल रहे आर्य वीर तथा वीरांगनाओं के योग एवं चरित्र निर्माण विशेष आवासीय शिविर में पांचवें दिन शिक्षक प्रशांत आर्य ने रस्से के आसन सिखाये।
इस अवसर पर सभा मंत्री रवि शास्त्री ने बच्चों को प्रेरित करते हुए कहा कि, क्रोध एक भयंकर शत्रु है, जो बहुत ही विनाशक है इससे और इसके परिवार वालों से जरा बचकर रहें।कहा कि, जब कोई व्यक्ति आप पर झूठा आरोप लगाए, आपके आदेश निर्देश का पालन न करें, अपनी मनमानी करें, आपकी इच्छा के विरुद्ध काम करें, आपकी किसी प्रकार की हानि करें। अथवा अन्य किसी प्रकार से असभ्यता करें, तब जो आपके मन में उससे बदला लेने की, उसका विनाश करने की इच्छा उत्पन्न होती है, ऐसी इच्छा को ही क्रोध कहते हैं।
बताया कि,क्रोध की स्थिति में बुद्धि ठीक काम नहीं करती है। क्रोध में व्यक्ति दूसरों पर अन्याय करता है ।अपराधी को मात्रा से अधिक दंड देता है। जब क्रोध आता है, तो उसके साथ साथ, उसके परिवार के अन्य सदस्य भी चले आते हैं, जिन्हें हठ,छल, कपट ,धोखा, निंदा, चुगली ,अभिमान इत्यादि नामों से जाना जाता है। यह सब क्रोध के परिवार के सदस्य हैं। इन सब से बचकर रहें अन्यथा यह आप का विनाश कर देंगे। क्रोध करना अनुचित है। इसलिए क्रोध से बचें। स्वयं सुखी रहें तथा दूसरों को भी सुख देवें। उत्तम रीति से जीवन जीने का यही तरीका है।
इस अवसर पर प्रधानाचार्य रामपाल तोमर, धर्मपाल त्यागी,आचार्य धर्मवीर आर्य,कपिल आर्य, ऋषिपाल आर्य, सुमेधा आर्या आदि का सहयोग रहा।