यमुनोत्री से प्रारंभ हुई अध्ययन यात्रा, पर्यटकों द्वारा फेंका गया कचरा तथा भूस्खलन व घटिया निर्माण भी आपदा के कारण

यमुनोत्री से प्रारंभ हुई अध्ययन यात्रा, पर्यटकों द्वारा फेंका गया कचरा तथा भूस्खलन व घटिया निर्माण भी आपदा के कारण

••भूस्खलन व बंदरपूछ ग्लेशियर सिकुड़ने से यमुना का उदगम क्षेत्र हो रहा है प्रभावित
••बागपत जिले के तीनों अध्येताओं का यमुनोत्री पर पुरोहितों द्वारा स्वागत

ब्यूरो डॉ योगेश कौशिक

बागपत।हिमालय में जलवायु परिवर्तन और आपदा जैसे गूढ विषय को लेकर एक अध्ययन यात्रा यमुना के जल ग्रहण क्षेत्र से शुरू हुई । इस अध्ययन यात्रा में शामिल सदस्य एनवायरनमेंट और सोशल रिसर्च आर्गेनाईजेशन के संजय राणा और सुरेश भाई और सर्वोदय कार्यकर्ता विशाल जैन हैं, जिनका 19 अक्टूबर को यमुनोत्री पहुंचने पर पुरोहितों द्वारा भव्य स्वागत किया गया है। 

पुरोहित खिलानंद भारद्वाज ने अध्ययन दल का माल्यार्पण कर स्वागत किया तथा उनके समक्ष यमुनोत्री क्षेत्र में पिछले लंबे समय से आ रहे मौसमी और पर्यावरणीय बदलाव पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि, निश्चित ही अनियमित वर्षा और लगातार चारों ओर के भूस्खलन और बंदरपूछ ग्लेशियर के सिकुड़ने के संकेत बता रहे हैं कि, भविष्य में चिंता जनक स्थिति यमुना के उद्गम में भी हैं, लेकिन उनकी आस्था है कि, पवित्र यमुना की जलधारा जिस तरह से अविरल बह रही है ,उनका विश्वास है कि अवश्य ही यहां की प्रकृति और पर्यावरण सुरक्षित रखने के लिए हम सब के प्रयास को सहयोग मिलेगा। 

बताया कि,हजारों तीर्थ यात्री और पर्यटक हर रोज आ रहे हैं। चारों ओर प्लास्टिक की बोतले और पॉलिथीन यमुना के उद्गम में ही ढेर लगे हुए हैं। अध्ययन दल के सदस्यों ने यहां पर दर्जनों लोगों के इंटरव्यू लेकर पता किया कि ,जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव सामने आ रहे हैं ,जो बर्फ पड़ती थी ,वह गायब हो रही है। यहां गर्मी बढ़ रही है। बरसात में भूस्खलन बड़ी तेजी से हो रहा है। स्थानीय स्तर पर अनेक लोगों ने बताया कि, बड़े निर्माण कार्यों से भी भूस्खलन और बाढ़ की समस्या बढ़ रही है। लेकिन इनमें से कुछ लोगों ने यह भी कहा कि, चार धाम में आने वाले तीर्थ यात्रियों के हिसाब से सड़क चौड़ीकरण की आवश्यकता है। 

अध्ययन दल का मानना हैं कि, निर्माण कार्य से निकलने वाला मलबा यमुना नदी में नहीं फेंकना चाहिए तथा जो भी यहां निर्माण हो वह बहुत ही मजबूत और टिकाऊ हो ,जिससे यमुना के अस्तित्व पर संकट न हो।
बड़कोट से पलीगाड तक ऑल वेदर रोड का काम लगभग पूरा किया गया है। इस दौरान में देखने को मिला है कि, इसके आसपास और आगे तक सड़क चौड़ीकरण के जो भी प्रयास किये हैं, उसका अधिकांश मलबा यमुना की छाती पर उडेल दिया गया है। यहां पर औजरी, डाबर कोट, कुथनौर, किसाला के आसपास और सिलाई बैंड जैसे अनेक स्थान डेंजर जोन के रूप में दिखाई दे रहे हैं।

बताया कि  यमुनोत्री के पैदल मार्ग पर देखा गया कि जगह-जगह यमुना नदी में 2024 की बाढ़ से मलबे के ढेर लगे हुए हैं। यमुनोत्री मंदिर के पास भी चारों ओर से लगातार छोटे-बड़े भूस्खलन के संकेत दिखाई दे रहे हैं।यहां पर भंडेली गाड़ से एक भूस्खलन हो रहा है, जो भविष्य में यमुना की धार को बाधित कर सकता है। इसको ध्यान में रखते हुए सड़क चौड़ीकरण के लिए शेष बचे लगभग 24 किमी की दूरी के निर्माण कार्य में यहां की प्रकृति और संस्कृति को बचाए रखने के लिए संयमित तरीके से हिमालय के साथ व्यवहार करने की आवश्यकता है, नहीं तो यह भविष्य में रौद्र रूप ग्रहण कर सकता है जो मैदानी क्षेत्र को भी प्रभावित करेगा।