भूमंडल का अत्यंत पवित्र तीर्थ है चित्रकूटधाम- दीक्षित।

भूमंडल का अत्यंत पवित्र तीर्थ है चित्रकूटधाम- दीक्षित।

- भागवत कथा का दूसरा दिन

चित्रकूट ब्यूरो: श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन पांडव चरित्र, शिव विवाह की कथा का रसपान भागवताचार्य ने श्रोताओं को कराया। उन्होंने बताया कि कार्तिक मास में स्नान, दान, पूजन व कथा सुनने का विशेष महत्व है। इसी माह गोवर्द्धन पूजा, दामोदर लीला, तुलसी विवाह की तिथियां आती हैं। चित्रकूटधाम भूमंडल का अत्यंत पवित्र तीर्थ है।

धर्मनगरी के सीतापुर स्थित राष्ट्रीय रामायण मेला प्रेक्षागृह में स्व छंग्गूलाल जोशी की स्मृति में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन कथा प्रवक्ता आचार्य नवलेश दीक्षित ने शिव विवाह का वर्णन करते हुए बताया कि हिमालय की पुत्री पार्वती से शिव का विवाह हुआ तो समस्त देवी देवताओं ने आर्शीवाद प्रदान किया। शिव बारात में भूत, प्रेत, पिशाच को देखकर पार्वती की मां अत्यंत विचलित हो जाती है। यह देख भोलनाथ ने मनोहारी रूप धारण किया। शिव के इस रूप को देवताओं ने चन्द्रशेखर नाम दिया। फिर धूमधाम से शिव-पार्वती का विवाह संपन्न हुआ। इसी क्रम में कथा व्यास ने पांडव चरित्र का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने बताया कि चित्रकूट में मंदाकिनी नदी जीवनदायिनी है। इसी तट पर स्वयंभू शिवलिंग विराजमान हैं। प्रभु श्रीराम, सीता नित्य यहां निवास करते हैं। इसलिए चित्रकूट में कथा श्रवण करने का अत्यधिक महत्व है। यह क्षेत्र कथा, यज्ञ, साधना के लिए अतिश्रेष्ठ माना जाता है। इस मौके पर कथा परीक्षित विद्या देवी के अलावा बड़ी तादाद में श्रोतागण मौजूद रहे।