मदन भैया के रूप में रालोद के तुरुप के इक्के के सामने भाजपा को प्रत्याशी का चयन करने में करनी पड रही है भारी मशक्कत
संवाददाता नीतीश कौशिक
बागपत | पूर्व विधायक मदन भैया का गाँव भले ही गाजियाबाद जनपद में आ गया हो और खेकड़ा विधानसभा सीट अब नहीं रही हो, लेकिन उनकी विधायकी के कार्यकाल के दौरान कार्यशैली से प्रभावित होकर जो भी उनके करीब आया, उनका आज भी मुरीद है | यही कारण है कि, बाद में विधायक कोई भी रहा हो, लेकिन अपने चहेतों के काम तो मदन भैया ही पूरे कराते रहे हैं |
मदन भैया का रुतबा कहें या कार्यकर्ताओं की परख, दोनों ही क्षेत्रों में बेमिसाल है | उपचुनाव में रालोद का खतौली से प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा के बाद से उनके निकटस्थ कार्यकर्ताओं का उत्साह दोगुना हो गया है | इनमें ऐसे भी छुपे रुस्तम हैं, जो सत्ता के गलियारे में नेताओं के सामने फोटो खिंचाने में मशगूल हैं |
मदन भैया ने अपनी विधायकी के दौरान भले ही गुर्जर मतदाताओं के दिल खोलकर मिले समर्थन के बाद उनके काम को वरीयता दी हो, लेकिन अपने कार्यकर्ताओं की सिफारिश पर तथा ग्रामीणों की जरूरतों को पूरा कराने में, समस्याओं के समाधान में कभी कोई कोर कसर नहींं छोडी | इन कार्यकर्ताओं में उनके चाहने वाले हर जाति और वर्ग के आज भी हैं, वे चाहे वैश्य हों या ब्राह्मण या फिर जाट तथा मुसलमान | उद्योगपति से लेकर विभिन्न संस्थानों में कार्यरत श्रमिक संगठनों से जुड़े लोगों में उनके चाहने वालों की तादाद कम नहींं हुई, जो एक बार किसी काम से उनके पास गया, वो उनका हो गया | इन सारी खूबियों के चलते रालोद ने खतौली उपचुनाव में मदन भैया के रूप में तुरुप का इक्का चलाया है, जिसके सामने सत्तारूढ़ भाजपा को अपना प्रत्याशी चुनने में भारी मशक्कत करनी पड रही है |
दूसरी ओर उनके खतौली क्षेत्र में नामांकन से लेकर चुनाव प्रचार तक में शामिल होने के लिए बागपत जनपद से उनके समर्थक तो बाद में पहुंचेंगे, लेकिन मदन भैया का रालोद प्रत्याशी के रूप में नाम घोषित होने के साथ ही उस क्षेत्र में अपनी रिश्तेदारियाँ में फोन और सोशल मीडिया के जरिये मैसेज भी कर दिए हैं |