सुप्रीम कोर्ट ने मांगा SP से जवाब, SHO बोले- अभी नोटिस नहीं पढ़ा

सुप्रीम कोर्ट ने मांगा SP से जवाब, SHO बोले- अभी नोटिस नहीं पढ़ा

पीलीभीत। एक बालक ननिहाल में रह रहा है, लेकिन उसकी हत्या हो जाने की झूठी तहरीर थाने में दे दी गई। पुलिस ने भी बगैर जांच किए हत्या की प्राथमिकी लिख ली। बाद में यह मामला उच्चतम न्यायालय में पहुंचा। सुनवाई के बाद उच्चतम न्यायालय की ओर से एसपी व थाना प्रभारी को नोटिस जारी हुए हैं।

यह है पूरा मामला

मामला न्यूरिया थाना क्षेत्र के गांव रफियापुर का है। गांव निवासी चरम सिंह ने बेटी मीना का विवाह बरहा गांव निवासी भानु प्रकाश से की थी। मीना ने एक पुत्र का जन्म दिया। उसका नाम अभय सिंह रखा गया। इसके बाद वर्ष 12-13 में मीना की मृत्यु हो गई। 

मृतका के मायके वालों ने ससुराल वालों पर दहेज हत्या की प्राथमिकी लिखाई थी। उसका मुकदमा अदालत में विचाराधीन चल रहा है। इसी बीच मीना के मायके वाले अभय को अपने घर ले गए। इस पर भानु प्रकाश ने परिवार न्यायालय में केस दायर कर दिया। 

पिता ने लगाया बेटे को मारने का आरोप

12 जनवरी 2021 को परिवार न्यायालय ने भानु प्रकाश के पक्ष में निर्णय दिया। बालक के नाना इस आदेश के विरुद्ध हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। तब भानु प्रकाश ने धारा 156 (3) के तहत 24 जुलाई 2023 को अदालत में प्रार्थना पत्र देकर बेटे अभय को ननिहाल में मार देने का आरोप लगाया। 

न्यायालय ने पुलिस को अभियोग पंजीकृत करके विवेचना के आदेश दिए। पुलिस ने बगैर जांच पड़ताल किए हत्या की प्राथमिकी लिखकर विवेचना शुरू कर दी, जबकि बालक जीवित है। पुलिस ने बालक की ननिहाल में दबिश देना शुरू कर दिया। तब ननिहाल के लोगों ने बालक को हाई कोर्ट में पेश किया। 

हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला

अभय सिंह ने कोर्ट को बताया कि हत्या की प्राथमिकी गलत है,  क्योंकि वह जीवित है। हाई कोर्ट से यह याचिका खारिज हो जाने के बाद बालक के ननिहाल वाले उसे लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। बालक ने पेश होकर अदालत में बताया कि वह जीवित है और नाना-नानी के यहां सुरक्षित रह रहा है। 

सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्थगनादेश पारित करने के साथ ही एसपी व न्यूरिया के थाना प्रभारी निरीक्षक को नोटिस जारी कर हलफनामा दाखिल करने के आदेश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट का नोटिस नहीं पढ़ा

थाना प्रभारी निरीक्षक प्रदीप कुमार विश्नोई ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट से नोटिस मिला है लेकिन अभी उसे पढ़ा नहीं है। उन्होंने स्वीकार किया कि तथ्यों को छिपाकर अदालत के माध्यम से हत्या की प्राथमिकी लिखाई गई थी। बालक अपनी ननिहाल में रह रहा है, लेकिन वे लोग उसे सामने नहीं ला रहे हैं।