15 साल तक के बच्चों को एएफपी का खतरा ,डब्ल्यूएचओ के तत्वाधान में स्वास्थ्य विभाग की कार्यशाला

15 साल तक के बच्चों को एएफपी का खतरा ,डब्ल्यूएचओ के तत्वाधान में स्वास्थ्य विभाग की कार्यशाला

••बरसात के मौसम में इस बीमारी से जल्दी ग्रस्त होते हैं किशोर 

संवाददाता शशि धामा

खेकड़ा।सीएचसी पर सोमवार को 15 साल तक के बच्चों को एएफपी यानि एक्यूट फ्लैसिट पैरालिसिस से बचाने के लिए डब्ल्यूएचओ के तत्वाधान में स्वास्थ्य विभाग की विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में बीमारी के कारण और उससे बचाव पर भी मंथन किया गया। 

विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम के तत्वाधान में सोमवार को सीएचसी खेकड़ा के सभागार में 15 साल तक के बच्चों को एक्यूट फ्लैसिट पैरालिसिस से बचाने के लिए विशेष कार्यशाला का आयोजन हुआ, जिसमें बच्चों में अचानक होने वाले लकवा रोग पर चर्चा की गई। एसएमओ डा कुमार गुंजन ने बताया कि , बरसात के मौसम में एक्यूट फ्लैसिट पैरालिसिस से पीड़ित बच्चों की संख्या अधिक देखने को मिलती है ,क्योंकि इसका वायरस बरसात में पानी के जरिए तेजी से फैलता है। समय पर उपचार के जरिए इस रोग से बचा जा सकता है।

 बताया कि, एएफपी से पीड़ित रोगी की सूचना तुरंत स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दी जानी चाहिए। इससे समय रहते रोग का निर्धारण कर उसका समय पर उपचार किया जा सकता है। बीमारी से ग्रसित बच्चे जब खुले में शौच करते हैं, तो बरसात के पानी से इस बीमारी के वायरस स्वस्थ्य बच्चों को प्रभावित कर देते हैं। इसकी वजह से बच्चों के शरीर के किसी भी अंग में निशक्तता आ सकती है। बताया कि, यह एक तरह से पोलियो का ही एक प्रकार है, जबकि देश में बीते कुछ सालों में पोलियो का कोई रोगी नहीं पाया गया है,लेकिन पड़ोसी देशों में पोलियो के केस पाए जा रहे हैं। इन देशों से लोगों का आना जाना लगा रहता है। इस वजह से इसके वायरस के आने की संभावनाएं बनी रहती हैं। 

कार्यशाला में बताया गया कि,पोलियो की तरह दिखने वाली यह बीमारी एएफपी अभी भी है। कार्यशाला में डबल्यूएचओ के मानिटर मुदस्सर नजर,सीएचसी प्रभारी डा मसूद अनवर, डा ताहिर, डा प्रियंका, डा संतोष, डा मीना, डा माधुरी समेत स्वास्थ्य विभाग के चिकित्सकों के अलावा क्षेत्र के प्राइवेट चिकित्सक भी शामिल हुए।