भागवत कथा का पंचम दिन,भक्त प्रह्लाद के चरित्र को सुनकर श्रद्धालु हुए भावविभोर
संवाददाता मनोज कलीना
बिनौली | गांव के शिव मंदिर में चल रही भागवत कथा के पांचवे दिन शुक्रवार को कथावाचक आचार्य राधारमन महाराज ने भक्त प्रह्लाद चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि प्रह्लाद चरित्र ,पुत्र एवं पिता के संबंध को प्रदर्शित करता है।
आचार्य राधारमन ने कहा कि ,यदि भक्त सच्चा हो तो विपरीत परिस्थितियां भी उसे भगवान की भक्ति से विमुख नहीं कर सकती। राक्षस प्रवृत्ति के हिरण्यकश्यप जैसे पिता को प्राप्त करने के बावजूद भी प्रह्लाद ने ईश्वर भक्ति नहीं छोड़ी। सच्चे अर्थों में कहा जाए तो ,प्रह्लाद ने पुत्र होने का दायित्व भी निभाया।
उन्होंने कहा कि पुत्र का यह सर्वोपरि दायित्व है कि, यदि उसका पिता कुमार्गगामी और दुष्ट प्रवृत्ति का हो ,तो उसे भी सुमार्ग पर लाने के लिए सदैव प्रयास करने चाहिए। प्रह्लाद ने बिना भय के हिरण्यकश्यप के यहां रहते हुए ईश्वर की सत्ता को स्वीकार किया और पिता को भी उसकी ओर आने के लिए प्रेरित किया ,लेकिन राक्षस प्रवृत्ति के होने के चलते हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद की बात नहीं मानी, ऐसे में भगवान नरसिंह द्वारा उसका संहार किया गया।
कथा में उपेंद्र प्रधान, प्रेम भाटिया, प्रदीप शर्मा, राजू वर्मा, सुधांशू जैन, नकुल शर्मा, रामनारायण, पीयूष जैन, सुखबीर शर्मा, महेश धामा, सुरेश शर्मा, सौराज धामा, लीलू चौहान, विनीत धामा, ग्राम प्रधान रेनू धामा, पीयूष जैन सुमन शर्मा, राजकुमारी आदि मौजूद रहे।