रुक्मिणी-कृष्ण विवाहोत्सव की कथा सुन झूम उठे श्रद्धालु ,विवाह की झांकी ने भी खूब किया आनंदित

रुक्मिणी-कृष्ण विवाहोत्सव की कथा सुन झूम उठे श्रद्धालु ,विवाह की झांकी ने भी खूब किया आनंदित

संवाददाता शशि धामा

खेकड़ा।कस्बे के प्राचीन शिव मंदिर के प्रांगण में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में शनिवार को कथा व्यास योगेश कौशिक महाराज ने श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह प्रसंग सुनाया। इस दौरान भगवान श्रीकृष्ण रुक्मणि के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया।वहीं रुक्मणि विवाह के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।

महिला कीर्तन मंडली भुमिया धाम के तत्वाधान में कस्बे के अहिरान स्थित प्राचीन शिव मंदिर प्रांगण में आयोजित श्रीमदभागवत कथा के छठे दिन कथा व्यास योगेश कौशिक ने बताया कि, रुक्मणि विदर्भ देश के राजा भीष्म की पुत्री और साक्षात् लक्ष्मी जी का अवतार थी। रुक्मणि ने जब देवर्षि नारद के मुख से श्रीकृष्ण के रूप, सौंदर्य एवं गुणों की प्रशंसा सुनी ,तो उसने मन ही मन श्रीकृष्ण से विवाह करने का निश्चय किया, जबकि रुक्मणि का बड़ा भाई रुक्मी श्रीकृष्ण से शत्रुता रखता था और अपनी बहन का विवाह चेदिनरेश के पुत्र शिशुपाल से कराना चाहता था। रुक्मणि को जब इस बात का पता चला ,तो उन्होंने एक संदेशवाहक से श्रीकृष्ण के पास अपना परिणय संदेश भिजवाया। तब श्रीकृष्ण विदर्भ देश की नगरी कुंडीनपुर पहुंचे और वहां बारात लेकर आए शिशुपाल व उसके मित्र राजाओं शाल्व, जरासंध, दंतवक्त्र, विदु रथ और पौंडरक को युद्ध में परास्त करके रुक्मणि का उनकी इच्छा से हरण कर लाए।बाद में श्रीकृष्ण ने द्वारिका में अपने संबंधियों के समक्ष रुक्मणि से विवाह किया।

कथा के दौरान रुक्मणि कृष्ण का विवाह की भव्य झांकी भी प्रस्तुत की गई।इस अवसर पर भजन व कीर्तन का प्रासंगिक गायन व झांकी देख श्रद्धालु भावविभोर हो गए तथा जमकर झूम उठे।