-जामिया आइशा लीलबनात में अर्धवार्षिक परीक्षा संपन्न

-जामिया आइशा लीलबनात में अर्धवार्षिक परीक्षा संपन्न
नारी के शिक्षित होने से परिवार शिक्षित होते है, नारी शिक्षा से समाज का उद्धार होता है
कांधला। जामिया आइशा लीलबनात में अर्धवार्षिक परीक्षा के समापन के मौके पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मौलाना मजहर हुदा ने कहा कि शिक्षा ही वह गहना है जिससे एक महिला अपनी स्थिति के बारे में जागरूक हो सकती है, और अपने भाग्य और समाज को आकार दे सकती है। शिक्षा से ही नारी अपने और अपने परिवार का उद्धार कर सकती है। शिक्षा केवल रोजगार के लिए नही है बल्कि अच्छे संस्कार अच्छे स्वभाव अच्छे रहन सहन के लिए आवश्यक है। इस क्षेत्र में केवल पुरुषों को ही नही प्रवेश करना चाहिए बल्कि महिलाएं भी इस मैदान में आकर अपने और अपने परिवार को अच्छी शिक्षा दें। सुमैय्या खातून ने कहा कि कुछ लोगों की धारणा है कि महिलाएं सिर्फ किचन के लिए पैदा होती हैं और उनकी जिंदगी किचन से शुरू होकर टेबल पर खत्म होती है। ऐसी बातें बिल्कुल भी सही नहीं हैं। महिलाएं भी इंसान हैं, ज्ञान का प्रकाश मनुष्य को जीना सिखाता है। मंतशा ने कहा कि इस्लाम के इतिहास में ऐसे कई उदाहरण हैं महिलाओं के साहस और सरलता से महान क्रांतियां लाई गईं मसलन हजरत मूसा की मां और फिरौन हजरत आसिया की पत्नी हजरत आसिया का उदाहरण कुरान में मौजूद है हज़रत आसिया ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को फ़िरऔन के ज़ुल्म से महफूज़ रखा और उन्हें अपनी गोद में उठा लिया। तूबा फलक हाशमी ने कहा कि पैगंबर मुहम्मद साहब की पत्नी हजरत खदीजा ने उनसे शादी करने के बाद अपनी सारी संपत्ति इस्लाम की सेवा में समर्पित कर दी।  इसी तरह हजरत मुहम्मद (सल्ल.) की बेटी हजरत फातिमा ने हजरत इमाम हसन और हजरत इमाम हुसैन जैसे बच्चों को पाला। हजरत इमाम हसन ने शांति बनाकर देश को रक्तपात से बचाया। दो गुटों के बीच अपने प्राणों की आहुति देकर इस्लाम की रक्षा की। इस मौके पर मौलाना सैयद बदरूल हुदा क़ासमी ने तमाम लोगों का शुक्रिया अदा किया इस मौके पर सबीहा खातून, तशरीबा, ज़ीनत मारुफ़ी, कारी मुद्दसिर, मौलाना सुल्तान आदि मौजूद रहे।