देशभर से आए शायरों ने बांधा समां।
संवाददाता - फैसल मलिक
अंजुमन गुलिस्तान-ए-उर्दू अदब के तत्वाधान में आयोजित हुआ मुशायरा।
जनपद शामली के कस्बा कैराना मे इस्लामिया स्कूल के नाम से प्रसिद्ध जाकिर मैमोरियल इंटर कॉलेज में अंजुमन गुलिस्तान-ए-उर्दू अदब के तत्वाधान में खूबसूरत मुशायरे का आयोजन किया गया। जिसमें देशभर से शायरों ने शिरकत की,शुभारंभ एडीएम शामली संतोष कुमार सिंह व चेयरमैन कैराना शमशाद अहमद अंसारी,रामेंद्र सिंह अधिशासी अधिकारी नगर पालिका परिषद शामली,एवम सभासद पति राशिद मलिक न. प. जलालाबाद,जिला सचिव ( पि. व. प्र.) समाजवादी पार्टी शामली,रविन्द्र प्रधान जोगी
प्रदेश सचिव पिछड़ा वर्ग सपा (उ. प्र.),आश मोहम्मद (पत्रकार) फैसल मलिक तहसील प्रभारी दैनिक अयोध्या टाइम्स जनपंद शामली,ने की। मुशायरे का आगाज नात के साथ कारी मुजम्मिल व कारी मुदस्सिर ने किया, सफल संचालन देवास मध्यप्रदेश से आए हुए शायर इस्माईल नज़र ने किया।
शनिवार रात्रि में जाकिर मैमोरियल इंटर कॉलेज में खूबसूरत मुशायरा आयोजित हुआ मुशायरा में निज़ामत के जौहर इस्माईल नज़र ने दिखाए,
पेश हैं कुछ शेर...हर एक मर्ज़ के लिए दवा नहीं होती,कुबूल उसके यहां हर दुआ नहीं होती,
कभी तो बदलेगी रुख अपना इंतज़ार करो,
हमेशा एक तरफ की हवा नहीं होती।
दूसरा शेर पढ़ते हुए कहा..ज़हनों में साजिशों का ग़ुमां तक नहीं हुआ,फ़िरौनियत का ज़िक्र जुबां तक नहीं हुआ,बस्ती तमाम जल गई कैसे पता नहीं,ऐसे लगाई आग धुआं तक नहीं हुआ।
देवबंद से आए हुए प्रख्यात शायर नदीम शाद ने कुछ यूं अंदाज-ए-बयान किया..मुश्किल था पर जादू करना सीख गए,अब हम खुद पर काबू करना सीख गए,आपको तो तहजीब मिली थी विरसे में,आप कहां से तू-तू करना सीख गए।
दूसरा शेर पढ़ा..हर खित्ते में रहने में आसानी हो,पानी बन जो बहने में आसानी हो,
उसको इज़्ज़त कैसे दिलवा सकते हो,
जिसको जिल्लत सहने में आसानी हो।
सम्भल से आए हुए इंतखाब संभली ने अपनी से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया इंतखाब ने पढ़ा.. तंगदस्ती में भी बच्चों को पाला हमने,
बेईमानी का नहीं खाया निवाला हमने,
बेटियों से ही चमक रहा घर का आंगन,
गोद लेकर कोई बेटा नहीं पाला हमने।
स्योहारा से आए हुए मौज स्योहारवी ने कहा..
कोई मजबूरी तो है उस आदमी के सामने,
हाथ फैलाने लगा जो हर किसी के सामने,
यह बता नादान तो किस बात पर है मग़रूर,
मौत मुंह खोले खड़ी है जिंदगी के सामने।
जुनैद अख्तर ने कहाअदावत का यहां दस्तूर क्यों है हम नहीं समझे, ज़माना नफरतों में चूर क्यों है हम नहीं समझे,सभी है खबर मोहब्बत हर मसले का हल है,मोहब्बत से यह दुनियां दूर क्यों है हम नहीं समझे।एडीएम संतोष कुमार सिंह ने आशिकाना मिज़ाज में पढ़ा,
अच्छा लगता है मुझको गुरूर तेरा हो,
सज़ा मिले मुझको कुसूर तेरा है,
मेरी ज़िद को एक बार दिल्लगी कह दो,
नज़र किसी की भी हो सुरूर तेरा हो।
नवाज़िश बुटराड़वी ने पढ़ा..
खुद को बर्बाद कू-ब-कू करके,
क्या मिला उसकी आरज़ू करके,
भूल बैठा कमी वो औरों की,
आईना अपने रू-ब-रू करके।
प्रदीप मायूस ने कहा,
न तख्तों ताज न इनाम लेके जीता है,
तेरा फकीर तेरा नाम लेके जीता है।
आबिद वफ़ा सहारनपुरी ने पढ़ा साए की जुस्तजू में मरे जा रहे हैं लोग,किस हाल में है बूढ़ा शज़र किस से पूछिए।देवबंद के उभरते हुए शायर ने नूर देवबंदी ने कहा..खाक-ए-वतन अज़ीज़ है हमको इसलिए,मर कर भी दफ्न होंगे इसी की ज़मीन में,फैसल मेरठी ने कहा.. हर तरफ फ़ज़ाओ में फूल से बिखर जाएं,तो जो मुस्कुरा दे एक बार थोड़ा सा।अज़रा संभली ने कहा..मेरा जन्नत तवाफ करती है,मां के पैरों को जब दबाती हूँ।मेहनाज़ स्योहारवी ने कहा..आसमान थर्राएगा और चीख उठेगी ज़मीन,जब किसी मजलूम को ना हक सताया जाएगा।बिहार से आए हुए शहर जीशान भागलपुरी यूं अपनी मौजूदगी दर्ज कराई..कलम वालों कलम से इस वतन की शान लिख देना,हमारी एकता की है अलग पहचान लिख देना,अगर पूछे कोई धरती की जन्नत है कहां लोगो,तो कागज पर बड़े अक्षर में हिंदुस्तान लिख देना।सभी शायरों ने अपनी शायरी से मुशायरे में खूब वाह वाही बटोरी। मुशायरा शकील अहमद की किताब शाखे गुल का भी आगाज किया गया। कनवीनर रहे फिरोज़ खान, नायब कन्वीनर डा0 सलीम फारूकी रहे,अब्दुर्रहमान,अदीब,मास्टर शकील अहमद,सलीम जावेद डुडुखेडा,नफीस अहमदव अंजुमन गुलिस्तान-ए-उर्दू अदब के सभी सदस्य का विशेष सहयोग रहा।