पशुपालन और बागवानी के प्रति किसानों में जागरूकता बढ़ाने के लिए हंस आजीविका परियोजना के तहत कार्यशाला का आयोजन।

पशुपालन और बागवानी के प्रति किसानों में जागरूकता बढ़ाने के लिए हंस आजीविका परियोजना के तहत कार्यशाला का आयोजन।

मऊ, चित्रकूट: किसानों को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के उद्देश्य से मंगलवार को विकासखंड मऊ में हंस आजीविका परियोजना के अंतर्गत एक दिवसीय विकासखंड स्तरीय समन्वय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में मऊ विकासखंड के विभिन्न ग्राम पंचायतों के प्रधानों और सचिवों ने भाग लिया, जिसमें उन्हें पशुपालन, बागवानी और प्राकृतिक खाद के महत्व के बारे में जागरूक किया गया। साथ ही, किसानों को सरकारी योजनाओं के लाभ दिलाने के लिए ग्राम प्रधानों और सचिवों को सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया गया।

किसानों की आजीविका में सुधार के लिए बागवानी और प्राकृतिक खाद को मिला प्रोत्साहन

खंड विकास अधिकारी श्रीराम मिश्रा ने कार्यशाला में बताया कि मऊ विकासखंड के कई ग्राम ऐसे हैं, जहाँ परंपरागत रूप से प्राकृतिक खाद का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन किसानों को प्रेरित कर बागवानी और पशुपालन को बढ़ावा देने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर सृजित किए जा सकते हैं। उन्होंने प्रधानों और सचिवों से आह्वान किया कि वे किसानों को इन योजनाओं का लाभ दिलाने के लिए जागरूक करें, ताकि अधिक से अधिक लोग इनसे जुड़कर अपनी आजीविका में सुधार कर सकें।

पशुपालन में स्वास्थ्य सुविधाएँ और सहयोग के प्रति जागरूकता

पशु चिकित्साधिकारी आर.एस. गौतम ने कार्यशाला में बताया कि पशुपालन विभाग समय-समय पर निःशुल्क स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन करता है, जहाँ किसानों को उनके पशुधन के स्वास्थ्य और देखभाल के बारे में जानकारी दी जाती है। उन्होंने कहा कि विभाग किसानों को पशुपालन से संबंधित सभी प्रकार का सहयोग उपलब्ध कराने के लिए तत्पर है, ताकि वे अपने पशुओं को स्वस्थ रख सकें और उनकी उत्पादकता में सुधार कर सकें।

हंस फाउंडेशन की ओर से 26 राज्यों में ग्रामीण विकास के लिए समर्पित प्रयास

फाउंडेशन के विषय विशेषज्ञ श्रीकांत ने बताया कि कार्यशाला में मऊ विकासखंड की 10 ग्राम पंचायतों के सचिव और प्रधानों ने भाग लिया, जिनके माध्यम से स्थानीय किसानों को सरकारी योजनाओं से जोड़ने और उनकी आजीविका में सुधार लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हंस फाउंडेशन पूरे भारत के 26 राज्यों में शिक्षा, स्वास्थ्य, विकलांगता, आपदा प्रबंधन और आजीविका के क्षेत्र में विभिन्न परियोजनाओं के माध्यम से समाज के वंचित वर्गों के सर्वांगीण विकास के लिए कार्यरत है। फाउंडेशन का उद्देश्य समाज के शोषित और वंचित वर्गों को मुख्य धारा से जोड़कर उनके जीवन स्तर में सुधार लाना है।

किसानों में बढ़ी जागरूकता, सामुदायिक विकास की दिशा में उम्मीदें

इस कार्यशाला के माध्यम से क्षेत्र के किसानों में जागरूकता और आत्मनिर्भरता का संचार हुआ। प्रधानों और सचिवों ने इस पहल का स्वागत करते हुए कहा कि वे ग्रामीण किसानों को सरकारी योजनाओं और संसाधनों से जोड़ने में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। हंस आजीविका परियोजना के इस प्रयास से यह उम्मीद जगी है कि आने वाले समय में किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा और ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक विकास को एक नई दिशा मिलेगी।

कार्यशाला में हंस फाउंडेशन के ब्लॉक समन्वयक आशाराम, मुकेश मंडरहा, फील्ड समन्वयक प्रिंस कुमार, जय प्रकाश सहित अनेक किसान और ग्रामीण जन उपस्थित रहे।