जल उत्सव अभियान के तहत 121 स्कूलों के 1526 छात्रों ने समझा जल संरक्षण का महत्व और सीखे जल प्रबंधन के उपाय।

जल उत्सव अभियान के तहत 121 स्कूलों के 1526 छात्रों ने समझा जल संरक्षण का महत्व और सीखे जल प्रबंधन के उपाय।

चित्रकूट ब्यूरो: बढ़ते जल संकट और जल संसाधनों की सीमित उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए चित्रकूट जिले में जल संरक्षण और प्रबंधन के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से एक विशेष जल उत्सव अभियान का आयोजन किया गया। इस अभियान में पांच ब्लॉकों के 121 विद्यालयों के कुल 1526 छात्रों ने भाग लिया, जिसमें उन्हें जल संरचनाओं का महत्व समझाया गया और जल संसाधनों के सही उपयोग की शिक्षा दी गई।

अभियान की शुरुआत: पेयजल परियोजनाओं का भ्रमण

अभियान की शुरुआत में छात्रों को स्थानीय पेयजल परियोजनाओं का भ्रमण कराया गया, ताकि वे जल आपूर्ति तंत्रों को समझ सकें और इस प्रक्रिया में जल की अहमियत को जान सकें। इस दौरान छात्रों ने देखा कि किस प्रकार पानी को संग्रहित किया जाता है, उसका शोधन कैसे होता है और फिर कैसे पाइपलाइनों के माध्यम से वह लोगों तक पहुँचाया जाता है। इस दौरान उन्हें यह भी बताया गया कि जल आपूर्ति के विभिन्न तंत्रों का संचालन किस प्रकार होता है और इन तंत्रों को सुचारु बनाए रखने के लिए कितनी मेहनत और संसाधनों की आवश्यकता होती है।

कक्षा में व्याख्यान: जल संरचनाओं और प्रबंधन की जानकारी

भ्रमण के बाद छात्रों के लिए विशेष कक्षा व्याख्यान का आयोजन किया गया, जहाँ विशेषज्ञों ने उन्हें जल संरचनाओं के विभिन्न पहलुओं के बारे में विस्तार से जानकारी दी। छात्रों को यह समझाया गया कि जल संरचनाओं में बांध, जलाशय, तालाब और सिंचाई व्यवस्था शामिल हैं, जो न केवल जल का संरक्षण करते हैं बल्कि सूखे और बाढ़ जैसी आपदाओं से निपटने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके अतिरिक्त, व्याख्यान में जल प्रबंधन के विभिन्न उपायों पर भी चर्चा की गई, जैसे कि वर्षा जल संचयन, जल पुनर्चक्रण और घरेलू जल उपयोग में बचत के तरीके।

जल संरचनाओं का निरीक्षण: बांधों और जलाशयों का दौरा

अभियान के अगले चरण में छात्रों को मंगलवार को क्षेत्र के प्रमुख जल संरचनाओं का दौरा कराया गया। इसमें पांच बड़े बांधों और 41 लघु सिंचाई जल संरचनाओं का निरीक्षण भी शामिल था। इस दौरे का उद्देश्य छात्रों को जल संग्रहण, वितरण और नियंत्रण के वास्तविक तौर-तरीकों को समझाना था। छात्रों ने देखा कि ये बांध और जलाशय किस प्रकार जल का संग्रहण करते हैं, जिसका उपयोग खेती, सिंचाई और घरेलू आवश्यकताओं के लिए किया जाता है। इसके साथ ही उन्हें यह भी दिखाया गया कि ये जल संरचनाएँ किस प्रकार बाढ़ के खतरे को नियंत्रित करने में सहायक होती हैं, और इनके प्रबंधन से होने वाले लाभों के बारे में बताया गया।

जल प्रवाह और संरक्षण के तरीके: छात्रों को दी गईं महत्वपूर्ण जानकारियाँ

दौरे के दौरान, छात्रों को यह बताया गया कि जल संरचनाओं में जल प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए किन तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। उन्हें दिखाया गया कि कैसे जल को संरक्षित किया जाता है और इस पानी का उपयोग सूखे के समय या फसल के आवश्यक समय पर सिंचाई के लिए किया जा सकता है। इसके साथ ही छात्रों को जल संसाधनों के प्रबंधन के तरीकों, जैसे कि ड्रिप इरिगेशन, माइक्रो इरिगेशन और वर्षा जल संचयन के महत्व को भी समझाया गया।

अभियान का प्रभाव और छात्रों में जागरूकता

इस अभियान का उद्देश्य न केवल छात्रों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करना था, बल्कि उन्हें जल प्रबंधन के लिए आवश्यक उपायों को भी सिखाना था। खंड विकास अधिकारी मानिकपुर शैलेन्द्र सिंह और रामनगर के दिनेश मिश्रा के सहयोग से इस अभियान को सफलतापूर्वक संपन्न किया गया। दोनों अधिकारियों ने बताया कि इस तरह के अभियान न केवल छात्रों के जीवन में स्थायी प्रभाव डालेंगे, बल्कि उन्हें जल संकट से निपटने के लिए सक्रिय रूप से प्रोत्साहित भी करेंगे। अधिकारियों का मानना है कि छात्रों में जल संरक्षण की शिक्षा देकर समाज में एक बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है, जिससे भविष्य में जल संकट से निपटने में मदद मिलेगी।

छात्रों में उत्साह और भविष्य की उम्मीद

अभियान में भाग लेने वाले छात्रों ने भी इस जागरूकता अभियान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया और जल संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारी को समझा। इस अभियान ने उन्हें जल के सही उपयोग, उसके संरक्षण और इसके बेहतर प्रबंधन के लिए प्रेरित किया। छात्रों ने जल संरक्षण के महत्व को गहराई से महसूस किया और भविष्य में अपने परिवार, समाज और विद्यालय में जल बचाने के लिए प्रतिबद्धता जताई।

निष्कर्ष: यह अभियान छात्रों के मन में जल संरक्षण के प्रति एक नई सोच और जिम्मेदारी पैदा करने में सफल रहा। इस प्रकार के प्रयासों से चित्रकूट जिले में जल संसाधनों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और जल प्रबंधन में एक नई दिशा मिलेगी। उम्मीद की जा रही है कि इन प्रयासों से आने वाले समय में समाज जल संकट से निपटने के लिए सक्षम बनेगा और जल संरक्षण की दिशा में सार्थक योगदान देगा।