ट्रकों से वसूली मामले में सीएम योगी का एक्शन, SP-ASP हटाए गए; सीओ-एसओ समेत पूरी चौकी सस्पेंड
बलिया। यूपी-बिहार की सीमा पर पड़ने वाले बलिया का भरौली तिराहा। बुधवार रात डेढ़ बजे का समय। रोज की तरह ट्रकों की लाइनें और पुलिसकर्मी और दलाल वसूली में व्यस्त। इसी बीच एक ट्रक से जींस और टी शर्ट में दो व्यक्ति उतरते हैं। पुलिसकर्मियों और दलालों से अपना ट्रक निकालने के लिए भाव-ताव करते हैं।
अचानक ही पुलिसकर्मियों और दलालों के होश उस समय उड़ जाते हैं, जब उन्हें अहसास होता है कि उन्हें बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों ने ही घेर रखा है। पता चलता है कि जींस-टी शर्ट में पहुंचे व्यक्तियों में एक एडीजी वाराणसी पीयूष मोर्डिया हैं और दूसरे डीआईजी आजमगढ़ वैभव कृष्ण। दोनों ही अधिकारी बक्सर से एक ट्रक में बैठकर वहां पहुंचे थे। अचानक ही हुई इस छापेमारी से भगदड़ मचती है, लेकिन दो पुलिसकर्मी और 16 दलाल पकड़ लिए जाते हैं।
इसकी जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़े अधिकारियों पर भी कार्रवाई के निर्देश दिए। बलिया के एसपी देवरंजन वर्मा व एएसपी दुर्गा तिवारी को पद से हटाकर प्रतीक्षारत कर दिया गया है। सीओ शुभ सुचित को निलंबित कर दिया गया। 32वीं वाहिनी पीएसी में कमांडेंट रहे विक्रांत वीर को बलिया का एसपी बनाया गया है।
इससे पूर्व छापेमारी के बाद एसओ पन्नेलाल, चौकी प्रभारी राजेश कुमार प्रभाकर व सात पुलिसकर्मियों समेत 23 के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। थानाध्यक्ष व कोरंटाडीह चौकी के सभी आठ पुलिसकर्मियों को भी निलंबित किया गया, जबकि वसूली में लिप्त रहे तीन पुलिसकर्मी विष्णु यादव, दीपक मिश्र व बलराम सिंह भाग निकले, जिनकी तलाश चल रही है। पुलिस ने मौके से 37,500 रुपये नकद और 14 बाइक के अलावा 25 मोबाइल भी बरामद किए। शासन ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सीओ, एसओ व चौकी प्रभारी के विरुद्ध संपत्तियों की विजिलेंस जांच कराने का आदेश भी दिया है।
बलिया पुलिस को भी नहीं लगी छापेमारी की भनक
ट्रकों से अवैध वसूली की शिकायत पर एडीजी के नेतृत्व में बुधवार रात पुलिस की यह बड़ी कार्रवाई थी और इतनी गोपनीय थी कि बलिया पुलिस को भी विश्वास में नहीं लिया गया। भरौली तिराहा नरही थानाक्षेत्र में आता है और इस चेकपोस्ट पर कोरंटाडीह चौकी के पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगती थी। यहां से बिहार के बक्सर की ओर से आने वाले ट्रकों से अवैध वसूली की शिकायतें अधिकारियों को मिल रही थीं। बक्सर में माइनिंग होती है और उधर से ट्रकों में बालू, मिट्टी, पशुओं और कोयले आदि का परिवहन किया जाता है।
रंगेहाथ पकड़ने के लिए बनाई योजना
शिकायतों की पुष्टि के लिए ही अधिकारी पुलिस टीम के साथ वहां पहुंचे थे। डीआईजी वैभव कृष्ण ने बताया कि भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को रंगेहाथ पकड़ने के लिए एडीजी और उन्होंने पहले मौके पर जाकर देखा और फिर योजना बनाकर छापेमारी की। उन्होंने बताया कि यहां से प्रतिदिन एक हजार ट्रक होकर गुजरते हैं और हर ट्रक से 500-500 रुपए की वसूली की जा रही थी। छापेमारी के समय पहले दो सिपाही गिरफ्तार किए गए।
इसके बाद दलालों को दबोचा गया। इसके बाद जब टीम कोरंटाडीह चौकी पहुंची तो वहां भी वसूली की जा रही थी। यहां से एक सिपाही और एक दलाल फरार हो गया। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर इस तरह की छापेमारी चलती रहेगी।
सलाना 18 करोड़ रुपए की वसूली
500-500 रुपये प्रति ट्रक वसूली के हिसाब से प्रतिमाह यहां डेढ़ करोड़ रुपए और सालाना 18 करोड़ रुपए की वसूली होती थी। बताया जा रहा है कि इसका बड़ा हिस्सा बिहार पुलिस के थानों को भी जाता था। डीआईजी ने बताया कि इस प्रकरण की जांच आजमगढ़ के एएसपी शुभम अग्रवाल को सौंपी गई है। थानाध्यक्ष पन्नेलाल मौके पर नहीं थे। उनका आवास सील कर दिया गया है। पकड़े गए पुलिसकर्मियों के नाम हरदयाल व सतीश गुप्ता हैं।
ट्रक में बैठकर की रेकी
एडीजी पीयूष मोर्डिया और डीआईजी वैभव कृष्ण बुधवार की रात करीब साढ़े नौ बजे ही बक्सर पहुंच गए थे। यहां से सादे कपड़ों में ट्रक पर सवार होकर भरौली आए। भरौली चौराहे के पास देखा कि ट्रकों की लंबी कतार लगी हुई है। तीन पुलिसकर्मी कुर्सी पर बैठे थे और एक वसूली कर रहा था। इसके बाद दोनों अधिकारी कोरंटाडीह चौकी के पास गए। यहां भी वसूली चल रही थी। कुछ दूर जाने के बाद ट्रक मोड़कर फिर बक्सर गए। दोनों अधिकारियों ने छापेमारी की योजना बनाई और फिर भरौली लौटे।
प्रयोग किए वाराणसी, लखनऊ व प्रयागराज नंबरों के वाहन
एडीजी ने बक्सर में तीन पुलिस टीमें बनाईं। भरौली तिराहे से एक रास्ता गाजीपुर, दूसरा रसड़ा और तीसरा बलिया की ओर जाता है। तीनों टीमों ने अलग-अलग रास्तों पर घेरेबंदी की। टीम में प्रयोग किए गए वाहन वाराणसी, प्रयागराज व लखनऊ के नंबर वाले थे।