हिंसा के मार्ग को छोड़कर जीवन को नैतिक और सदाचारी बनायेंः स्वामी आत्मानंद जी

हिंसा के मार्ग को छोड़कर जीवन को नैतिक और सदाचारी बनायेंः स्वामी आत्मानंद जी

••ऋग्वेद पारायण एवं वेद प्रचार अभियान में वैदिक विद्वानों एवं मुनियों का समागम

संवाददाता आशीष चंद्रमौलि

बरनावा। महाभारत कालीन ऐतिहासिक गाँव बरनावा में वैदिक वानप्रस्थ आश्रम में स्वामी आत्मानंद जी के ब्रह्मत्व में चल रहे 8 दिवसीय ऋग्वेद पारायण वेद प्रचार के दूसरे दिन उन्होंने कहा कि ,आज का पर्यावरण बहुत दूषित हो रहा हैं, जिसको शुद्धता प्रदान करने के लिए यज्ञ अति आवश्यक हैं । बताया कि यज्ञ किसी जाति या सम्प्रदाय विशेष के लिए नहीं होता, बल्कि इसे हर कोई कर सकता है और करना भी चाहिए, क्योंकि यज्ञ सभी जीवों का कल्याण करता है।

युवा विद्वान आचार्य कपिल शास्त्री ने बताया कि, आर्यसमाज के मंच से जो शिक्षाएं दी जाती हैं, वह अद्भुत होती हैं जिनसे मनुष्य जीवन का उद्धार सुनिश्चित होता हैं तथा उनसे प्रेरित मनुष्य आध्यात्मिक बनने का प्रयत्न करता है और वह अहिंसा का पुजारी बन जाता है। शास्त्री जी ने बताया कि हम जो भी कार्य करते हैं ,उसके संस्कार चित्त पर अंकित हो जाते हैं, इसलिए जीवन को अच्छे कर्मों से युक्त करते रहें। 

कहा कि, जीवन की सफलता के लिए ज्ञान, कर्म व उपासना, इन तीनों को समन्वित करना आवश्यक है।मनुष्यों को अपनी आत्मा के कल्याण के ज्ञान, कर्म अवस्था के अनुसार कर्म करना होता है। इस अवसर पर आचार्य मोहित शास्त्री ने बहुत सुंदर वेदपाठ कर यज्ञ को सम्पन्न कराया।यज्ञमान भोजराज आर्य जी सपत्नीक एवम् गुरमीत कुमार जी रहे।

इस दौरान विजय भाई जी ,स्वामी ग्रीश मुनि जी ,हरीश मुनि ,मुक्तिवेश जी , इन्द्रमुनि ,स्वराज ,रामपाल ,ओम मुनि जी,संजय ,रमेश ,गोविंद आर्य , प्रिंस आर्य आदि उपस्थित रहे ।