Supreme Court ने मुजफ्फरनगर में सात वर्षीय छात्र को थप्पड़ मारने के मामले में यूपी सरकार से मांगा स्पष्टीकरण

Supreme Court ने मुजफ्फरनगर में सात वर्षीय छात्र को थप्पड़ मारने के मामले में यूपी सरकार से मांगा स्पष्टीकरण

लखनऊ: मुजफ्फरनगर के एक स्कूल में छात्र को उसके साथियों को बार-बार थप्पड़ मारने के लिए उकसाने वाली शिक्षिका के खिलाफ मुकदमा चलाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने यूपी सरकार से स्पष्टीकरण देने के लिए कहा है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में आदेश दिया था कि यूपी सरकार पीड़ित छात्र और उसके सहपाठियों की काउंसलिंग में हक, मुस्कान और चाइल्ड लाइन की मदद ले.

महात्मा गांधी के परपोते ने SC में डाली याचिका
गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर के एक स्कूल दूसरे समुदाय के सात वर्षीय छात्र को उसके सहपाठियों द्वारा थप्पड़ मामले का वीडियो वायरल हुआ था. इसमें शिक्षिका छात्र के सहपाठियों को थप्पड़ मारने के लिए उकसा रही थी. जब इस घटना का वीडियो वायरल हुआ तो हड़कंप मच गया था. अगस्त 2023 की इस घटना के वायरल होने के बाद राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दाखिल की थी. इसी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लिया था.

छात्र के पिता ने कोर्ट में की थी शिकायत
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार न्यायमूर्ति एएस ओका की अध्यक्षता वाली पीठ ने ये सुनिश्चित किया था कि राज्य सरकार इस घटना के बाद बच्चे और उसके सहपाठियों की काउंसलिंग में HAQ, मुस्कान और चाइल्डलाइन जैसी एजेंसियों से मदद ले. कोर्ट ने ये भी कहा था कि जो भी कहा जा रहा है वो दिखावट तक सीमित नहीं रहना चाहिए. इस मामले में पीड़ित छात्र के पिता ने कोर्ट में कहा था कि राज्य सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है.

ऐसी घटनाएं रोकने के लिए गाइडलाइन बनाने के दिए थे आदेश
तुषार गांधी के हस्तक्षेप के बाद सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से इस मामले की रिपोर्ट मांगी थी. इसके साथ ही पीड़ित बच्चे की काउंसलिंग कराने और सीबीएसई मान्यता प्राप्त स्कूल में एडमिशन कराने के निर्देश दिए गए थे. इसके बाद छात्र का दाखिला एक अन्य स्कूल में कराया गया था. मुंबई टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज की एक टीम ने तीन दिन तक मुजफ्फरनगर में रहकर पुराने और नए स्कूल में अंतर देखा था. बीएसए शुभम शुक्ला भी इस मामले में कोर्ट में पेश हुए थे. वहीं प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा भी ऑनलाइन सुनवाई से जुड़े थे. इसमें कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार को ऐसी घटनाओं को दोबारा होने से रोकने के लिए सख्त गाइडलाइन जारी करे. जिससे दोबारा ऐसा न हो.