पैदावार में भी कम लागत और पौष्टिकता से भरपूर होते हैं मोटे अनाज : डॉ संदीप चौधरी

पैदावार में भी कम लागत और पौष्टिकता से भरपूर होते हैं मोटे अनाज : डॉ संदीप चौधरी

संवाददाता शशि धामा

खेकड़ा |कृषि विज्ञान केन्द्र में सोमवार को कृषि वैज्ञानिकों ने मोटे अनाज को प्रकृति का उपहार बताते हुए प्रशिक्षण दिया तथा कुपोषण को दूर करने के लिए मोटे अनाजों का महत्व बताया।

कृषि विज्ञान केन्द्र के सभागार में खरीफ अभियान के तहत मोटे अनाजों के उत्पादन विषय पर संगोष्ठी का आयोजन हुआ। शुभारम्भ करते हुए केन्द्र प्रभारी डा संदीप चौधरी ने पोषण से भरपूर आहार एवं फसलों के बारे में विस्तार से बताया। कहा कि ,मोटे अनाज स्वास्थ्य एवं पोषण की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसलिए आज मोटे अनाजों को सुपर फूड और पोषण अनाज के नाम से जाना जा रहा है। 

बताया कि, ज्वार, बाजरा, रागी, कुटकी, कोदों, कंगनी, चीना, कुट्टू एवं चौलाई मोटे अनाजों में आते हैं। साथ ही इनके उत्पादन में अन्य लोकप्रिय अनाजों की तुलना में कम पानी एवं उर्वरक की आवश्यकता होती है। इनमें पोषक तत्व आयरन ,कैल्शियम, पोटेशियम, फास्फोरस जैसे खनिज पदार्थ तथा आहार फाइबर भी पाया जाता है। साथ ही इसमें फोलिक एसिड, विटामिन बी-6, बीटा कैरोटिन एवं नियासिन अच्छी मात्रा में पाया जाता है। 

गृह विज्ञानी डा अंकिता नेगी ने बताया कि, मोटे अनाज वजन एवं उच्च रक्त दाब कम करने में सहायक होने के साथ-साथ मधुमेह एवं हृदय विकारों को भी नियंत्रित करते हैं। ये एण्टी आक्सीडेंट का अच्छा स्रोत होने के कारण कैंसर जैसी बीमारियों से भी बचाते हैं। रेशा अधिक मात्रा में पाये जाने के कारण पेट सम्बंधी बीमारी जैसे कब्ज आदि होने से भी बचाते हैं। मोटे अनाज का माल्ट बनाने से इनकी पौष्टिकता बढ़ जाती है। संगोष्ठी में पादप सुरक्षा वैज्ञानिक डा शिवम सिंह, जय बजरंग प्रतिष्ठान के डा जयकुमार श्योरान, इंजी गौरव शर्मा, डा अंकिता नेगी ने भी व्याख्यान दिया। कृषकों में अजय, सुधीर पंवार, मोहित शर्मा, धीरज मान, कुलदीप, अभिषेक आदि शामिल रहे।