अहिल्याबाई समरसता की अद्वितीय प्रतिमूर्ति हैं - श्रीप्रकाश
कुशभवनपुर में मानवंदना यात्रा का भव्य स्वागत
सुलतानपुर। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) द्वारा पुण्यश्लोक अहिल्यादेवी होल्कर जी के त्रिशताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में निकाली जा रही मानवंदना यात्रा का कुशभवनपुर में भव्य स्वागत हुआ। यह यात्रा महेश्वर (मध्य प्रदेश) से प्रारंभ होकर गोरखपुर में होने वाले अभाविप के 70वें राष्ट्रीय अधिवेशन तक जाएगी।
यात्रा का स्वागत:
मानवंदना यात्रा का स्वागत सुलतानपुर के रामगंज, उतुरी गेट, पयागीपुर, शाहगंज चौराहा, रामराजी विद्यालय, डाकखाना चौराहा, अभाविप कार्यालय और एमजीएस कॉलेज में पुष्पवर्षा और आरती के साथ किया गया। स्वागत समारोह में एमएलसी शैलेंद्र प्रताप सिंह, अवनीश सिंह गुड्डू, प्रवीण अग्रवाल, संघ के जिला प्रचारक आशीष, रामेंद्र राणा और प्रमुख नवनीत सिंह सहित कई विशिष्ट लोग मौजूद रहे।
अभिनंदन समारोह और सांस्कृतिक कार्यक्रम:
एमजीएस कॉलेज परिसर में आयोजित अभिनंदन समारोह में रामराजी सरस्वती बालिका विद्यालय की छात्राओं ने अहिल्यादेवी होल्कर के जीवन पर आधारित एक सुंदर नाट्य मंचन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मालवा प्रांत की अभाविप मंत्री राधिका सिकरवार, मुख्य वक्ता के रूप में आरएसएस के विभाग प्रचारक श्रीप्रकाश और अध्यक्षता राणा प्रताप कॉलेज के प्राचार्य प्रो. डी.के. त्रिपाठी ने की।
विशिष्ट वक्ताओं के विचार:
डॉ. ए.के. सिंह ने अहिल्यादेवी होल्कर के राष्ट्र निर्माण में योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि नई पीढ़ी को उनके जीवन और कार्यों से प्रेरणा लेनी चाहिए। विभाग प्रचारक श्रीप्रकाश ने अहिल्यादेवी को समरसता की प्रतिमूर्ति बताते हुए कहा कि उनकी दूरदर्शिता से देश को आगे बढ़ाने की सीख मिलती है।
मुख्य अतिथि राधिका सिकरवार ने इंदौर की स्वच्छता में उनके योगदान की सराहना की और कहा कि युवाओं को उनके कृतित्व को जानने और अपनाने की आवश्यकता है।
सफल आयोजन:
कार्यक्रम का संचालन अंशिका सिंह ने किया, और धन्यवाद ज्ञापन अभाविप विभाग प्रमुख डॉ. संतोष अंश ने किया। इस अवसर पर प्रो. निशा सिंह, प्रो. शैलेन्द्र प्रताप, डॉ. नीतू, डॉ. प्रीति प्रकाश, डॉ. मंजू ठाकुर, डॉ. वीना, डॉ. शालिनी, रामराजी विद्यालय की प्रधानाचार्या रेखा सिंह सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थी और अधिकारी उपस्थित रहे।
मानवंदना यात्रा ने कुशभवनपुर में अपनी भव्यता का प्रदर्शन करते हुए अयोध्या के लिए प्रस्थान किया और वहां से गोरखपुर की ओर रवाना हो गई।