दूसरे अशरे में अल्लाह से मांगे गुनाहों की माफी -: मुफ्ती शहजाद

दूसरे अशरे में अल्लाह से मांगे गुनाहों की माफी -: मुफ्ती शहजाद

वसीम अहमद

मुंडाली/अजराड़ा।*मुकद्दस रमजान के पहले अशरे में रोजेदारों पर अल्लाह की खूब रहमत बरसी। बुधवार शाम रमजान का पहला अशरा खत्म होकर दूसरे अशरे का दौर शुरू हो गया है। जिसमें रोजेदारों को गुनाहों से छुटकारा मिलेगा। इसके अलावा तरावीह में कुरआन मुकम्मल होने का सिलसिला चलेगा। बाजारों में खरीदारों की रौनक भी बढ़ गई है। रमजान का मुकद्दस महीना दस-दस दिन के तीन अशरों में बटा है। इस वक्त रमजान का पहला अशरा मुक्कमल हो गया है जो रहमत का माना जाता है जिसमें अल्लाह की रहमत बरसती है। वहीं, 11वें रोजे के साथ ही दूसरा अशरा शुरू हो गया है । रमजान का दूसरा अशरा मगफिरत का अशरा है। इस अशरे में अल्लाह मरहूमों की मगफिरत फरमाता है और रोजेदारों को उनके गुनाहों से आजाद करता है। मुफ्ती मोहम्मद शहजाद अय्युबी अजराड़वी बताते हैं कि माहे रमजान के दूसरे अशरे की शुरुआत इबादत का दिन कहे जाने वाले जुम्मे से हो रही है जोकि अपने आप में गुनाहों से तौबा करने का दिन है वहीं दूसरे अशरा जोकि अल्लाह से गुनाहों की माफी मांगने का है वो भी शुरू हो गया। इस मुकद्दस महीने के बीच के दस दिन में अल्लाह पाक जितने भी मरहूम हैं उनकी मगफिरत फरमाता है और रोजेदार के सारे गुनाह माफ कर दिए जाते हैं। यानि दूसरे अशरे में अल्लाह से गुनाहों की माफी मांगी जाए तो वह जाॅया नहीं होती है। उन्होंने बताया कि मुकद्दस रमजान का महीना रहमत, मगफिरत के साथ ही जहन्नुम से आजादी दिलाने वाला महीना है, जो बेशुमार बरकतों वाला है। इस महीने में अल्लाह की रोजेदार बंदों पर खूब नेमतें बरसती है। गुनाह माफ हो जाते हैं। जहनुन्न से आजादी मिलती है। इसी तरह से अल्लाह के नेक बंदे खुद का इस महीने में इबादत के जरिए जन्नत को तलब करते हैं और अल्लाह उनके लिए जन्नत मुकद्दर कर देते हैं। तथा मुसलमानों को मुकद्दस रमजान के इस पाक महीने में रोजा रखने के साथ तिलावत-ए- कलाम पाक और तरावीह की नमाज भी पाबंदी के साथ मुकम्मल करनी चाहिए। तीनों का बड़ा सवाब है। अल्लाह ताला फरमाते हैं कि रोजा मेरे लिए है जिसका अज्र में खुद बंदे को दूंगा। इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि रोजा का अज्र किया है।