अपने निर्णयों से सबको हैरान कर देते थे सरदार पटेलः रीता चौहान

अपने निर्णयों से सबको हैरान कर देते थे सरदार पटेलः रीता चौहान

प्राथमिक विद्यालय बदलूगढ में मनायी गयी सरदार पटेल की जयंती
कैराना। क्षेत्र के गांव बदलूगढ स्थित प्राथमिक विद्यालय में सोमवार को सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती धूमधाम से मनायी गयी। छात्र-छात्राओं को राष्ट्रीय एकता की शपथ भी दिलायी गयी। जानकारी के अनुसार सोमवार को प्राथमिक विद्यालय में सरदार पटेल जयंती पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। स्कूल की सहायक अध्यापिका रीता चौहान ने बताया कि सरदार पटेल का जन्म 31 अक्तूबर 1875 को हुआ था। बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे सरदार पटेल को सत्याग्रह की सफलता पर वहां की महिलाओं ने सरदार की उपाधि प्रदान की थी। आजादी के बाद विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए पटेल को भारत का बिस्मार्क और लौहपुरुष भी कहा जाता है। बचपन की एक घटना से ही इनके निर्णय लेने की क्षमता और बहादुरी की जानकारी मिलती है। इनकी आँख के ऊपर एक फोड़ा निकल आया था किसी ने सलाह दी की अगर सरिया गर्म करके फोड़े में लगा दिया जाए तो ठीक हो जाएगा। सरिया गर्म कर दिया गया परन्तु किसी की इतनी हिम्मत नही हो रही थी कि गर्म सरिया फोड़े में लगा सके। सरदार पटेल ने सरिया उठाया और फोड़े मे घुसा दिया। उन्होंने कहा कि अन्याय सहन करना इनके स्वभाव में नहीं था। बचपन से ही इन्होंने हर गलत कार्य का विरोध किया और उसमे सफलता भी मिली। अपने निर्णयों के कारण ही इन्हें सरदार और लोहपुरुष की उपाधि मिली थी। लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के पहले गृहमंत्री थे। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देशी रियासतों का एकीकरण कर अखंड भारत के निर्माण में उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। उनके सम्मान मे गुजरात में नर्मदा के सरदार सरोवर बांध के सामने सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची लौह प्रतिमा का निर्माण किया गया है। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं व स्टाफ को राष्ट्रीय एकता की शपथ दिलायी गयी। मौके पर राष्ट्रीय एकता दौड़ का भी आयोजन किया गया।